भले ही देश की जीडीपी चीन को टक्कर दे रही हो। भले ही देश वैश्विक स्तर पर अपना दबदबा बना रहा हो। लेकिन जमीनी आंकड़े ठीक इसके उलट है। जी हां, सामाजिक कल्याण मंत्रालय ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में भारत में भिखारियों की संख्या के बारे में बताया। देश में इस वक्त कुल 413760 भिखारी हैं जिनमें 221673 भिखारी पुरुष और बाकी महिलाएं हैं। सबसे ज्यादा 81,244 हजार भिखारी पश्चिम बंगाल में हैं और सबसे कम भिखारी के मामले में लक्षद्वीप है, जहां सिर्फ 2 भिखारी हैं। भिखारियों के संख्या के मामले में दूसरे नंबर पर देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश है। वहीं बिहार तीसरे नंबर पर है।

बुधवार (21 मार्च) को सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने ये जानकारी लिखित में जारी की। मंत्री की ओर से ये आंकड़े लोकसभा को लिखे गए एक पत्र में जारी किए गए हैं, जो 2011 की जनगणना के अनुसार है। उत्तर प्रदेश का नाम इस सूची में 65 हजार 835 भिखारियों के साथ दूसरे नंबर पर है, जबकि 29 हजार 723 भिखारियों संग बिहार इसमें तीसरे पायदान पर है। राजधानी दिल्ली में 2187 भिखारी हैं. दिल्ली में भिखारियों की संख्या केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे अधिक है। आंकड़ो के अनुसार आंध्र प्रदेश में 30,218 भिखारी हैं लेकिन उस समय तेलंगाना आंध्रा का ही हिस्सा था। इसलिए अब यह आंकड़ा कुछ दूसरा हो सकता है।

केंद्र शासित प्रदेशों की बात करें तो लक्षद्वीप में महज दो भिखारी हैं। दादर नागर हवेली में 19, दमन और दीयू में 22 और अंडमान और निकोबार द्वीप पर सिर्फ 56 बेघर हैं। उधर, नई दिल्ली और चंडीगढ़ में भिखारियों और बेघरों की संख्या बढ़ी पाई गई। आंकड़ों के हिसाब से भिखारियों की संख्या के लिहाज से पूर्वोत्तर के राज्यों की स्थिति काफी अच्छी है। पूर्वोत्तर के राज्यों में भिखारियों की संख्या बहुत कम है।

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