Arun Yogiraj: कौन हैं अरुण योगीराज, जिनके रामलला होंगे अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान

0
45

Arun Yogiraj: अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 22 जनवरी को होने वाला है। अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर में जिस मूर्तिकार की मूर्ति को फाइनल किया गया है वह कर्नाटक के अरुण योगीराज ने बनाई है। योगीराज माँ सरस्वती ने इस क्षण को खुशी का पल साझा करके बताया है। साथ ही ये भी जानकारी दी है कि वो अपने बेटे की बनाई मूर्ति को खुद भी देख नहीं पाईं। बीजेपी नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को इसकी जानकारी दी।

मूर्ति तराशने के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तरफ से तीन मूर्तिकारों को चुना गया था। अरुण योगीराज इन मुर्तिकारों में से एक थे। अरुण ने कहा कि मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि मैं देश के उन तीन मूर्तिकारों में से एक था जिन्हें रामलला की मूर्ति तराशने के लिए चुना गया था।

कौन हैं अरुण योगीराज?

अरुण योगीराज कर्नाटक के मैसूर शहर के रहने वाले हैं। वह एक प्रसिद्ध मूर्तिकारों के परिवार से आते हैं। उनकी पांच पीढ़ियां मूर्ति तराशने का काम करती चली आ रही हैं। अरुण देश के सबसे प्रसिद्ध मूर्तिकारों में से एक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अरुण की प्रतिभा को लेकर उनकी तारीफ कर चुके हैं। उनके एक ट्वीट के मुताबिक उन्होंने 11 साल की उम्र में अपने पिता से मूर्ति बनाने की कला को सीखा था और स्वतंत्र रूप से वो 2006 से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं। उनकी कला की सराहना उनके चाहने वाले करने से नहीं चूँकते। प्रधानमंत्री भी उनके मुरीद हैं।

अरुण योगीराज कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं।

उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी से MBA किया है।

वे सुप्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज के बेटे हैं।

उनका पांच पीढ़ियों से मूर्ति बनाने का काम है।

उन्होंने सुभाष चंद्र बोस की 30 फ़ीट ऊंची प्रतिमा बनाई है।

नेताजी की ये प्रतिमा अमर जवान ज्योति पर मौजूद है।

केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा बनाई है।

आदि शंकराचार्य की ये प्रतिमा 12 फ़ीट ऊंची है।

उन्होंने रामकृष्ण परमहंस की प्रतिमा का भी निर्माण किया था।

बेटे को मूर्ति बनाते नहीं देख पाईं मां

अरुण योगीराज की मां सरस्वती ने बताया कि वह अपने बेटी की तरक्की को देखकर बहुत खुश हैं। उन्होंने कहना है कि उनके बेटे ने उन्हें भी रामलला की मूर्ति नहीं दिखाई थी। सरस्वती ने बताया- यह हमारे लिए सबसे खुशी का पल है, मैं उन्हें मूर्ति बनाते हुए देखना चाहती थी लेकिन उन्होंने कहा कि वह मुझे आखिरी दिन ले जाएंगे। उन्होंने बताया, ‘मैं अपने बेटे की तरक्की और उसकी सफलता देखकर खुश हूं।

अब तक उन्हें निम्नलिखित सम्मान मिल चुके हैं:

2014 में केंद्र सरकार द्वारा युंग टैलेंट अवॉर्ड।

मैसूर डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी और कर्नाटक सरकार द्वारा राज्योत्सव अवॉर्ड।

शिल्पकार संघ द्वारा शिल्प कौस्तुभ अवॉर्ड (पहली बार किसी युवा मूर्तिकार को ये सम्मान मिला)।

मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने इन्हें सम्मानित किया।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव कोफ़ी अन्नान ने न सिर्फ उनके काम को वहाँ जाकर देखा, बल्कि उनकी प्रशंसा भी की।

मैसूर राजपरिवार द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया।

मैसूर डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स अकादमी ने उन्हें सम्मानित किया।

अमर शिल्पी जकनकारी ट्रस्ट द्वारा सम्मान।

मैसूर विश्वविद्यालय के कुलपति ने भी उन्हें सम्मानित किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here