अनिरुद्ध बोस झारखंड के नए चीफ जस्टिस बन गए हैं। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राज्य के 12वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। राजभवन में हुए समारोह में शपथ ग्रहण करने के बाद अनिरुद्ध बोस ने कहा कि उनके सामने जो भी चुनौतियां होंगी उसका सामना करने के लिए वो पूरी तरह से तैयार हैं।

आपको बता दें कि राज्य में मुख्य न्यायाधीश का पद काफी दिनों से खाली था, डीएन पटेल पिछले काफी समय से कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर कार्यभार संभाल रहे थे। झारखंड हाईकोर्ट में न्यायिक प्रक्रिया में देरी होने से आम लोगों को बड़ी शिकायत है। झारखंड हाईकोर्ट में जनवरी 2018 तक करीब चार लाख लंबित मामले थे। जिसमे डेढ़ लाख से ज्यादा मुकदमों का निपटारा हुआ है। झारखंड में मुकदमों का निपटारा की दर 51.3 प्रतिशत है जबकि इसे लगभग 80% ले जाने की जरूरत है झारखंड हाईकोर्ट ने हालांकि इस दिशा में कई कदम उठाए हैं।

डिजिटल युग में झारखंड हाई कोर्ट भी पूरी तरह से डिजिटल हो गया है। झारखंड हाईकोर्ट के केसो से संबंधित दस्तावेजों को डिजिटल करने का काम जोरों पर है, संभावना है कि अगले दो महीने में सभी केसों से संबंधित दस्तावेज डिजिटल कर लिए जाएंगे। डिजिटल होने के बाद आम लोगों को ऑनलाइन सभी जानकारियां उपलब्ध हो पाएंगी।

वही झारखंड हाईकोर्ट में वकीलों की संख्या को देखते हुए उनकी समस्याओं का निपटाना मुख्य न्यायाधीश के लिए एक बड़ी चुनौती होगा। कॉलेजियम सिस्टम से महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर भी बड़ा सवाल खड़ा होगा। वजह है, झारखंड हाईकोर्ट में 18 जजों में सिर्फ एक महिला जज हैं। झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस के समक्ष कई चुनौतियां हैं। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के बीच को-आर्डिनेशन स्थापित कर लंबित मुकदमों का जल्द से जल्द निपटारा करना, न्याय प्रक्रिया में तेजी लाने के साथ ही कई और चुनौतियां हैं जिनसे नए चीफ जस्टिस को पार पाना होगा।

ब्यूरो रिपोर्ट,एपीएन

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