आज से बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दो दिन के दौरे पर जम्मू-कश्मीर पहुँच चुके हैं। इस दौरान वो राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों का निरीक्षण करेंगे और बीजेपी समेत अन्य नेताओं से राज्य के बिगड़े हालात पर चर्चा भी करेंगे। यहाँ यह बताना दिलचस्प है कि उनके दौरे से ठीक पहले केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के लिए 19,000 करोड़ के पैकेज का ऐलान किया है। अमित शाह जम्मू के अलावा 2019 लोकसभा चुनावों की तैयारियों के मद्देनजर 95 दिन के देशव्यापी दौरे पर हैं। जम्मू पहुंचे शाह के स्वागत में कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ देखने को मिली।
जम्मू-कश्मीर के बीजेपी चीफ सत शर्मा के मुताबिक, शाह यहां पार्टी के नेताओं और वर्कर्स की कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेंगे। इसमें करीब 200-300 लोग शामिल होंगे। इसके अलावा मंत्रियों के साथ भी मीटिंग करेंगे। साथ ही वे जम्मू के कुछ खास लोगों से भी मिलेंगे। शाह रविवार को पार्टी ऑफिस में संगठन से जुड़े कई लोगों और पदाधिकारियों से मिलेंगे। बताया जा रहा है कि अपने दो दिन के इस दौरे में अमित शाह अपनी सहयोगी पार्टी पीडीपी के किसी पदाधिकारी या नेता से नहीं मिलेंगे।
अमित शाह के कश्मीर दौरे से यह उम्मीद है कि घाटी में बिगड़े हालात और बीजेपी-पीडीपी गठबंधन की दरार में शायद कुछ सुधार हो। कश्मीर में बिगड़े हालातों को काबू करने में महबूबा मुफ़्ती सरकार विफल रही है। इस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अपनी नाराजगी जता चुके हैं। जबकि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी चिंता जाहिर की थी। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही थी कि शायद बीजेपी-पीडीपी गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और बीजेपी गठबंधन से हटकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकती है।
माना यह भी जा रहा था कि अमित शाह के कश्मीर दौरे के बाद पार्टी राज्य में गठबंधन की सरकार में बने रहने या हटने पर कोई बड़ा फैसला ले सकती है। लेकिन हाल के दिनों में राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच 24 अप्रैल को हुई मुलाकात से शायद परिस्थितियों में बदलाव हुआ है। यही वजह है कि केंद्र ने राज्य में पहले से घोषित पैकेज को मंजूरी देने के अलावा अमित शाह के कश्मीर दौरे से ठीक पहले भारी भरकम पैकेज का ऐलान भी कर दिया है।
कश्मीर में आतंकवादी और पत्थरबाजी की बढती घटनाओं के बीच अमित शाह का यह दौरा पीडीपी-बीजेपी गठबंधन में पनपी दूरियों को किस हद तक दूर कर पायेगा और इस गठबंधन का अंजाम क्या होगा यह तो एक दो दिनों में साफ़ होगा लेकिन इन सब के बीच यह तो तय है कि सरकार कश्मीर में शांति बहाली को लेकर गंभीर है और वह किसी भी कीमत पर घाटी के हालातों को काबू करना चाहती है।