Amit Shah on India-China Clash: अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत-चीन सैनिकों में हुई झड़प के बाद आज संसद में भारी हंगामा देखने को मिला। एक तरफ जहां इस मुद्दे को लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा था, विपक्ष इस मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा था। लेकिन दूसरी तरफ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कुछ ऐसा बयान दे दिया जिसके बाद अब हंगामा और ज्यादा बढ़ गया है। दरअसल अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस को राजीव गांधी फाउंडेशन को 1.35 करोड़ मिले थे, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीन से पैसे लिए, ये दोहरा रवैया नहीं चलने वाला है।
Amit Shah on India-China Clash: राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी दूतावास से 1.35 करोड़ रुपये मिले
अमित शाह ने संसद भवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि संसद में आज विपक्ष का दौहरा रवैया देखने को मिला है। उन्होंने हंगामा कर संसद को चलने नहीं दिया। लेकिन हमें अब समझ आया है कि इसके पीछे उनकी क्या मंशा थी। उन्होंने सवाल किया था कि आखिर राजीव गांधी फाउंडेशन संस्था क्यों रद्द कर दी गई। ये विपक्ष का 5वां प्रश्न था। प्रश्न संख्या 5 देखने के बाद, मैं कांग्रेस की चिंता को समझ गया। अमित शाह ने आगे कहा कि “राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी दूतावास से 1.35 करोड़ रुपये मिले। 2005, 2006 और 2007 में चीनी दूतावास द्वारा राजीव गांधी फाउंडेशन के बैंक खातों में भारी मात्रा में पैसे भेजे गए थे।
आगे शाह ने कहा कि कांग्रेस का कहना है, हमने ये पैसे भारत-चीन के साथ अच्छे संबंध बनाने में प्रयोग किए। लेकिन हमें तो इस रिसर्च को लेकर कोई फाइल नहीं मिली। अगर ऐसा होता तो उनके पास इसका ब्योरा भी होता। इन्होंने गलत तरीके से चीन का पैसा प्रयोग में लाया है। उनका लाइसेंस इसलिए रद्द कर दिया गया क्योंकि यह FCRA (विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम) के नियमों के अनुसार प्रकिया को फॉलो नहीं किया गया था।
नेहरू जी के प्रेम के कारण सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता बलि चढ़ गई- अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी बताए कि इन्होंने शोध तो जरूर किया होगा, क्या उनकी शोध में 1962 में भारत की हजारों हेक्टेयर भूमि चीन ने हड़प ली, वो शामिल था क्या? और शोध किया तो रिपोर्ट क्या आई है? नेहरू जी के प्रेम के कारण सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता बलि चढ़ गई। इस विषय को उन्होंने शोध का विषय बनाया था क्या? और अगर बनाया था तो इसका नतीजा क्या हुआ? बता दें कि 27 सितंबर, 1955 को नेहरू ने संसद में स्पष्ट रूप से इस बात को ख़ारिज कर दिया था कि भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनने का कोई अनौपचारिक प्रस्ताव मिला था।
भारत की एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं किया गया
अमित शाह ने आगे कहा कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प के दौरान भारतीय सैनिकों ने एक इंच जमीन नहीं छोड़ी। भारत की एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं किया गया है। भारतीय सैनिकों ने झड़प के दौरान अपार बहादुरी दिखाई और कुछ ही समय में चीनी सैनिकों को करारा जवाब दिया।
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