Farm Laws की वापसी के बाद आज सिंधू बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक दोपहर 2 बजे से चलने वाली है। जानकारी के मुताबिक इस बैठक में सभी किसान नेता मिलकर आने वाले समय की रणनीति पर विचार करेंगे और उम्मीद की जा रही है कि शाम 6 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बैठक की रणनीति साझा करेंगे कि बॉर्डर से हटना है या फिर नहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा शुक्रवार को राष्ट्र नाम संबोधन में तीनो कृषि कानूनों के वापसी के ऐलान के बाद देशभर में किसान जमकर ख़ुशियां मना रहे हैं। किसान संगठनों ने कई जगहों पर मिठाई बांटकर अपनी ख़ुशी जाहिर की।
किसान पिछले एक साल से धरना दे रहे थे
कृषि कानूनों को लेकर पिछले लगभग एक साल से अधिक चले किसान आंदोलन में धरने पर बैठे किसानों के लिए शुक्रवार को राहत भरा दिन रहा। आखिरकार किसानों की मांगों के आगे मोदी सरकार को झुकना पड़ा। इससे पहले सरकार की ओर से कहा जा रहा था कि किसी भी हालत में कृषि बिल वापस नहीं होंगे।
अंततः किसानों के आंदोलन के आगे मोदी सरकार को झुकना पड़ेगा और कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा। अब सभी की निगाहें सिंघु बॉर्डर पर आज संयुक्त किसान मोर्चा की दोपहर 2 बजे होने वाली बैठक पर टिकी है। अब ये देखना होगा कि बैठक में किसान संगठन क्या निर्णय लेता है।
मोदी सरकार साल 2020 में कृषि कानूनों पर अध्यादेश लायी थी
मालूम हो कि मोदी सरकार ने इन कृषि कानूनों को 2020 जून में अध्यादेश के तौर पर लागू किया था। इसके बाद से ही पंजाब में इसका विरोध शुरू हो गया था। लेकिन इसके बावजूद मोदी सरकार ने इन कृषि कानूनों को किसान हित में बताते हुए सितंबर के मॉनसून सत्र में इसपर बिल संसद के दोनों सदनों में पास कर दिया गया।
इस किसान आंदोलन का सबसे दर्दनाक पहलू यह रहा कि लखीमपुर खीरी में इसी किसान आंदोलन के कारण 4 किसानों को एक केंद्रीय नेता के बेटे ने कथिततौर पर अपनी जीप के पहियों तले कुचल दिया। वहीं पूरे आंदोलन के दौरान कुल 670 किसानों की मौत हुई। जिनमें से 33 ने आत्महत्या की। वहीं लगभग 150 की गिरफ़्तारी हुई और 2000 से ज्यादा केस दर्ज हुए। लेकिन अंत में मोदी सरकार को किसान आंदोलन के आगे झुकना ही पड़ा और उसे वापस लेना पड़ा।
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