आरबीआई ने एक बार फिर बचत खातों से नकद निकासी की सीमा बढ़ा दी है। नोटबंदी के बाद चौथी बार नकद निकासी सीमा को बढ़ाते हुए आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विराल आचार्य ने बताया कि 20 फरवरी से बचत खातों से कैश निकालने की सीमा को 24,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया जाएगा और 13 मार्च से नकद निकासी की पाबंदी को पूर्णत: खत्म कर दिया जाएगा। मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने बताया कि धीरे-धीरे दो चरणों में कैश निकालने की पाबंदी को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा। आरबीआई गवर्नर ने बताया कि 27 जनवरी तक 9.92 लाख करोड़ रुपये मूल्य की करेंसी सर्कुलेशन के लिए बाजार में डाली गई है।
नोटबंदी के बाद एटीएम से नकद निकासी सीमा में हुए बदलाव:
- 8 नवंबर यानि नोटबंदी के बाद 50 दिन तक एटीएम से 2000 रुपये निकासी की सीमा तय की गई थी।
- कुछ दिनों के बाद 2000 रुपये की लिमिट को बढ़ाकर 2500 रूपये कर दिया गया।
- नोटबंदी के 50 दिन बाद दिसंबर के आखिरी दिनों में निकासी बढ़ाकर 4500 रूपये किया गया।
- 16 जनवरी को इस सीमा में फिर बढ़ोतरी हुई और इसे 10,000 रूपये कर दिया गया।
- 1 फरवरी को इसे खत्म कर दिया गया। इसके बाद लोग कभी भी 24,000 रुपये तक निकाल सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले के बाद पहली बार आरबीआई ने 2017 की पहली मौद्रिक समीक्षा नीति और 2016 की आखिरी मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा कर दी है। कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार की मौद्रिक नीति में बदलाव देखने को मिलेगा पर ऐसा नहीं हुआ। आरबीआई ने साल के पहले और नए मौद्रिक नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया। आरबीआई के डिप्टी गर्वनर विराल आचार्य ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि रेपो रेट 6.25% रिवर्स रेपो रेट 5.75% जबकि सीआरआर 4% पर बरकरार है।
गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद नए नोटों की काफी कमी हो गई थी और लोग आसानी से नकद निकासी नहीं कर पा रहे थे क्योंकि RBI ने बैंक खातों से हफ्ते में मात्र 24,000 रुपये निकालने की सीमा तय की थी। नकद निकासी की इस सीमा से बाजार में कारोबार कम होने की बातें सामने आ रही थी जिसकी वजह से जानकार और कई अर्थशास्त्री मंदी की ओर इशारा कर रहे थे। इन्हीं आशंकाओं के मद्देनज़र RBI इस वर्ष के जीडीपी का अनुमान 6.9% कर दिया है। जबकि पिछले वर्ष जीडीपी 7.4 फीसदी था।