दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ (डूसू) चुनाव में ABVP ने NSUI को बड़े अंतरों से मात दी है। बीजेपी से संबद्ध एबीवीपी ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव पद पर सफलता हासिल की। वहीं कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई ने मात्र सचिव पद पर जीत दर्ज की। जीत दर्ज करने के बाद छात्रों ने काउंटिंग सेंटर के बाहर ढोल-नगाड़ा बजाकर जश्न मनाया और फूल मालाओं के साथ विजयी छात्रों के नाम पर नारे लगे। एबीवीपी के विजयी छात्र नेताओं का कहना है कि इस चुनाव से स्पष्ट हो गया कि अगले साल के लोकसभा चुनाव को लेकर युवाओं का रुझान बीजेपी की तरफ़ है। वहीं एनएसयूआई के विजयी छात्र आकाश चौधरी ने कहा कि चुनाव में ईवीएम में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। जीत का श्रेय पूरी कांग्रेस पार्टी को जाता है।

किसको कितने वोट मिले
अध्यक्ष पद के लिए ABVP के अंकिव बेसौया को मिले 20467 वोट, जबकि NSUI के सनी छिल्लर को 18743 वोट मिले। उपाध्यक्ष पद के लिए ABVP के शक्ति सिंह को मिले 23046 वोट , जबकि NSUI की लीना को 15373 को वोट मिले। सचिव के पद पर NSUI के आकाश चौधरी को मिले 20198 वोट, जबकि ABVP के सुधीर डेढ़ा को मिले 14019 वोट। संयुक्त सचिव के लिए ABVP की ज्योति चौधरी को मिले 19553 वोट, जबकि NSUI के सौरभ यादव को 14381 वोट मिले।

एबीवीपी की जीत पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी को मिली भव्य जीत पर परिषद के सभी कार्यकर्ताओं को हार्दिक बधाई। यह जीत न सिर्फ युवाओं में राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रति आस्था की जीत है बल्कि यह विभाजनकारी और अवसरवादी राजनीति के विरुद्ध युवाओं का जनादेश भी है।”

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा, ”सभी सफल उम्मीदवारों को बहुत बधाई एवं शुभकामनायें। छात्रशक्ति में राष्ट्रशक्ति की असीम सम्भावनाएँ निहित होती हैं। मुझे विश्वास है सकारात्मक छात्र राजनीति का विस्तार करने की दिशा में परिषद ऐसे ही आगे बढ़ती रहेगी।”

आपको बता दें कि गुरुवार को काउंटिंग को लेकर काफी गहमागहमी भरा माहौल रहा। दिन में ईवीएम में गड़बड़ी और उसके बाद हंगामे की वजह से काउंटिंग रोकनी पड़ी। ईवीएम पर उठे सवालों पर दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) के चुनाव में उपयोग में लायी गयी इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध नहीं करायी गयी थीं और ऐसा जान पड़ता है कि इसे निजी तौर पर हासिल किया गया था। बयान में कहा गया है, राज्य चुनाव आयोग से यह भी सत्यापित हुई है कि उसके द्वारा ऐसी कोई मशीनें नहीं दी गयीं।

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