सभी हिंदी भाषियों के लिए 14 सितम्बर का दिन किसी त्योहार से कम नहीं होता है। पूरे भारत में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रुप में मनाया जाता है। स्कूल, कॉलेजों में सभाएं आयोजित कर हिंदी पर चर्चा-परिचर्चा की जाती है। बच्चे हिंदी प्रेम की कविताएं लिखते और उनका पाठ करते हैं। हिंदी भाषा को बोलना और लिखना बहुत ही सरल है। भले ही अधिकतर मां-बाप बच्चों को अंग्रेजी बोलते देखना चाहते हैं, लेकिन विज्ञान यह बात साबित कर चुका है हिंदी ज्यादा बेहतर ढंग से दिमाग में घुसती है और समझ आती है। यहां तक कि ‘डिस्लेक्सिया’ (पढ़ने की समस्या) से पीड़ित बच्चों के लिए भी हिंदी दवा का काम कर रही है। इसका कारण है कि ऐसे बच्चे भारतीय भाषाएं बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।
यूनेस्को के दिल्ली स्थित ‘महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट फॉर पीस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ में प्रोजेक्ट निदेशक डॉक्टर नंदिनी चटर्जी भाषा और दिमाग के संबंधों पर लंबे समय से शोध कर रही है। उन्होंनें ‘डिस्लेक्सिया’ जैसी समस्या के निदान के लिए हिंदी का ही सहारा लिया। उन्होंने ‘डिस्लेक्सिया एसेसमेंट फॉर लैंग्वेज ऑफ इंडिया’ (डॉली) नाम का कार्यक्रम तैयार किया। इसके माध्यम से शिक्षक एवं मनोवैज्ञानिक डिस्लेक्सिया पीड़ित बच्चों को बेहतर ढंग से समझ पा रहे हैं। इस कार्यक्रम से भारत दुनिया का इकलौता देश बन गया, जहां डिस्लेक्सिया की समीक्षा के लिए मातृभाषा का प्रयोग किया जा रहा है।
डॉक्टर नंदिनी के मुताबिक बोली और भाषा से यह पता लगाया जा सकता है कि दिमाग कैसा काम कर रहा है। यह हमें बताता है कि दिमाग ध्वनि को सही ढंग से प्रोसेस कर रहा है या नहीं। ध्वनि के माध्यम से ही संचार और सामाजिक विकास का अंदाजा लगता है।
डॉक्टर नंदिनी का कहना है, ‘पढ़ना सीखने के लिए हमें संकेतों को समझना होता है और इस मायने में हिंदी समेत भारतीय भाषाओं का कोई जवाब नहीं है। हम पहले बोलना सीखते हैं, बाद में पढ़ना। इसलिए हम ध्वनि के आधार पर शब्दों को पढ़ना सीखते हैं। उच्चारण से शब्दों को लिखने की प्रक्रिया में भारतीय भाषाएं शानदार हैं।
नंदिनी ने बताया कि हिंदी में दो अक्षरों से शब्द बनाना संभव है। स्वर अंग्रेजी की तरह बदलते नहीं हैं। बस सिखाने के तरीके में बदलाव हो। राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान संस्थान में शोधकर्ता रहीं डॉक्टर नंदिनी कहती हैं, ‘ध्वनि से शब्द लिखने की प्रक्रिया में अंग्रेजी बहुत ही खराब है। एक ही जैसे लिखे गए शब्दों का उच्चारण बिल्कुल अलग-अलग है। इससे किसी भी बच्चे को इसे समझने में परेशानी होगी।’
इसलिए मनाते हैं हिंदी दिवस:
बहुत सी बोलियों और भाषाओं वाले हमारे देश में आजादी के बाद भाषा को लेकर एक बड़ा सवाल आ खड़ा हुआ। आखिरकार 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा दिया गया है। संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को देश की राजभाषा के बनाया था। हिंदी के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाने का फैसला किया। तभी से देश में हर साल 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 14 सितंबर 1953 को पहली बार हिंदी दिवस मनाया गया था। इस दिन कई जगहों पर हिंदी भाषा की प्रगति के लिए और बच्चों में भाषा के प्रति रुचि विकसित करने के लिए तरह-तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। हिंदी भाषा के कई कवियों ने भी कविताएं लिखकर हिंदी के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित किया है।
हिंदी दिवस देश में ही नहीं पूरी दुनिया में मनाया जाता है। हालांकि दुनिया के अलग देशों में हिंदी दिवस मनाने की तारीख अलग है। 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था जिसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे।