देश में नौकरी को लेकर हाहाकार मची है। बेरोजगारी से युवाओं का बुरा हाल है। करोड़ों युवा डिग्री लिए नौकरी की तलाश में हर दफ्तर में चक्कर लगाते रहते लेकिन उन्हें हाथ लगती है तो सिर्फ मायूसी। महंगी पढ़ाई कर अपना सब कुछ गंवा कर दिन रात मेहनत कर एक अदद नौकरी की चाह में करोड़ों युवा भटक रहे हैं। सरकारी नौकरी तो भगवान मिलने के बराबर है। प्राइवेट नौकरी भी नसीब से मिल रहे हैं। काफी मशक्क्त के बाद सिर्फ करोड़ों युवाओं में हजारों के हाथ नौकरी लगती है। बाकी सड़कों पर खाक छान रहे हैं।

सालों से सरकारें आती हैं युवाओं से वाता करती है और जब निभाने की बारी आती है। तो युवाओं के हाथ लगती है सिर्फ मायूसी। युवा आस में रहते हैं कि उनके अच्छे दिन आएंगे। लेकिन अच्छे दिन कैसे आएंगे। जब सरकारी दफ्तरों में लाखों पोस्ट खाली होने के बावजूद भी उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है। हर डिपार्टंमेंट में वेकेंसी है, हर राज्यों में हर डिपार्टमेंट में पोस्ट खाली हैं। लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें उन नौकरियों पर कुंडली मारे बैठी है।

बेरोजगारी को लेकर देश भर में बबाव मचा है। मोदी सरकार ने हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था लेकिन करोड़ तो छोड़िए लाखों लोगों को भी नौकरी नसीब नहीं हुई। विपक्ष कई बार सरकार से सवाल पूछता रहा कि नौकरी के वादे का क्या हुआ। विपक्ष आंकड़े दिखाता रहा। लोकसभा और राज्यसभा में कई बार सरकार के सामने आंकड़े भी पेश किए गए हैं। सवाल जवाब के दौरान कई बार खाली पदों के बारे में जिक्र भी हुआ है।  आकंड़ों से पता चलता है कि केंद्र और राज्य सरकार के दफ्तरों में लाखों लोगों की जरूरत है लेकिन खाली पद भरे नहीं जा रहे हैं। आखिर सरकार खाली पद क्यों नहीं भर रही है।  आइए आंकड़ों के जरिए समझें कहां कहां वेकेंसी है।

शिक्षा विभाग में 10 लाख नौकरियां।

पुलिस विभाग में 5.4 लाख पोस्ट खाली।

देश की अदालतों में 5800 पद हैं खाली।

डिफेंस सर्विसेज और पैरामिलिट्री फोर्सेज में 1.2 लाख वैकेंसी।

रेलवे में नॉन गजेटेड स्टाफ के 2.5 लाख पद खाली।

इनमें से 89000 पदों पर भर्ती के लिए फरवरी में दो नोटिफिकेशन जारी किए गए हैं।

आंकड़े बताते हैं कि सरकारी विभागों में 24 लाख से ज्यादा वेंकेंसी हैं लेकिन सरकार कहती है कि नौकरी नहीं हैं। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। देश में युवा परेशान हैं। नौकरी नहीं मिलने से युवाओं में मायूसी हैं। सरकार बेरोजगारी को लेकर कई दलीलें देती रहती है।  कोई कहता है कि भजीया तलो तो कोई कहता है कि पंचर लगाओ। लेकिन जहां नौकरी है वो तो मिल नहीं रहे हैं। रोजगार के अवसर आएंगे।  न जाने युवाओं को कब तक रोजगार के लिए इंतजार करना पड़ेगा। अब सवाल है कि आखिर सरकार सरकारी दफतरों में खाली नौकरियों पर क्यों कुंडली मारी बैठी है। आखिर बेरोजगारों के साथ मजाक कब तक होगा।

एपीएन ब्यूरो

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