Health News: अनियमित दिनचर्या और गलत खानपान से बढ़ रही ‘Piles’ की समस्‍या, आइये जानें कैसे इस रोग से करें बचाव?

Health News: दरअसल इस रोग की जड़ कब्ज को माना जाता है। इसी वजह से बहुत सारे लोगों को बवासीर की परेशानी हो जाती है। इस रोग में इंसान का बैठना तक दुश्वार हो जाता है।

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Health News: Piles.

Health News: बवासीर को Piles या Hemorrhoids भी कहा जाता है। ये एक ऐसा रोग है, जो बेहद तकलीफदेह होता है। इसमें गुदा के अंदर और बाहर तथा मलाशय के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से गुदा के अंदर और बाहर, या किसी एक जगह पर मस्से बन जाते हैं।

मस्से कभी अंदर रहते हैं, तो कभी बाहर आ जाते हैं। करीब 60 फीसदी लोगों को उम्र के किसी न किसी पड़ाव में बवासीर की समस्या से जूझना पड़ता है।रोगी अगर समय पर पाइल्स का इलाज नहीं करवाता तो दिक्‍कत काफी बढ़ जाती है। दरअसल इस रोग की जड़ कब्ज को माना जाता है।

Health News: इसी वजह से बहुत सारे लोगों को बवासीर की परेशानी हो जाती है। इस रोग में इंसान का बैठना तक दुश्वार हो जाता है। ये रोग ज्‍यादातर 45 से 65 वर्ष के लोगों में देखने को मिलती है। लेकिन बदलती जीवनशैली और गलत खानपान के चलते आजकल युवा भी इस रोग का शिकार हो रहे हैं।

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Health News: जानिये बवासीर के दो प्रकार

यह एक अनुवांशिक समस्या भी है।यदि परिवार में किसी को यह समस्या रही हो, तो इससे दूसरे व्यक्ति को होने की आशंका रहती है। बहुत पुराना होने पर यह भगंदर का रूप धारण कर लेता है जिसे फिस्टुला (Fistula) भी कहते हैं। इसमें असहाय जलन एवं पीड़ा होती है। ये दो प्रकार की होती है।
खूनी बवासीर: खूनी बवासीर में किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती है। इसमें मलत्याग करने के दौरान खून आता है। इसमें गुदा के अंदर मस्से हो जाते हैं। मलत्याग के समय खून मल के साथ थोड़ा-थोड़ा टपकता है। मल त्यागने के बाद मस्से अंदर चले जाते हैं। गंभीर अवस्था में यह हाथ से दबाने पर भी अंदर नहीं जाते। इस तरह के बवासीर का जल्‍द से जल्‍द इलाज करवाएं।
बादी बवासीर: बादी बवासीर में पेट की समस्या जैसे कब्ज एवं गैस की समस्या बनी रहती है। इसके मस्सों में खून नहीं होता। यह मस्से बाहर आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें बार-बार खुजली एवं जलन होती है। शुरुआती अवस्था में यह तकलीफ नहीं देते, लेकिन लगातार गलत खानपान और कब्ज रहने से ये फूल जाते हैं।

इनमें खून जमा हो जाता है और सूजन आ जाती है। इस दौरान रोगी को बेहद तकलीफ होती है। असहनीय पीड़ा होती है। यही स्थिति मलत्याग के दौरान और उसके बाद भी बनी रहती है।

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Health News: बवासीर होने के कारण

  • आयुर्वेद में बवासीर को ‘अर्श’ कहा गया है। यह वात, पित्त एवं कफ तीनों दोषों के दूषित होने से होता है। इसलिए इसे त्रिदोषज भी कहते हैं।बवासीर में वात या कफ की प्रधानता होती है। जानिये इसके होने की मुख्‍य वजह
  • लगातार एक ही स्थिति में खड़े रहना: ऐसे रोजगार या पेशे से जुड़े लोग जो लगातार एक ही स्थिति में खड़े रहते हैं जैसे- बस कंडक्टर, ट्रैफिक पुलिस मॉल में काम करने वाले सेल्‍स ब्‍वॉय एवं सेल्‍स गर्ल।
  • जिन्हें भारी वजन उठाना पड़ता है। इन लोगों को बवासीर से पीड़ित होने की अधिक संभावना रहती है।
  • कब्ज भी बवासीर का एक प्रमुख कारण है। कब्ज में मल सूखा एवं कठोर हो जात है। व्यक्ति को मलत्याग करने में कठिनाई होती है। काफी देर तक उकड़ू बैठे रहना पड़ता है।
  • इस कारण से वहां की रक्तवाहिनियों पर जोर पड़ता है, और वह फूलकर लटक जाती हैं, यही मस्सा कहलाती हैं।
  • अधिक तला एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन करना।
  • शौच ठीक से ना होना।
  • रेशेदार भोजन का सेवन न करना।
  • महिलाओं में प्रसव के दौरान गुदा क्षेत्र पर दबाव पड़ने से बवासीर होने का खतरा रहता है।
  • आलस्य या शारीरिक गतिविधि कम करना।
  • धूम्रपान और शराब का सेवन।
  • अवसाद

Health News: बवासीर के दौरान इन भोज्‍य पदार्थों एवं नियमों का करें पालन

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  • अधिक से अधिक रेशेदार फल एवं सब्जियां
  • रोजाना 7-8 गिलास पानी पीयें
  • भोजन में नियमित रूप से छाछ का सेवन करें
  • नियमित रूप से व्यायाम एवं प्राणायाम करें
  • अधिक देर तक एक ही जगह पर बैठे ना रहें
  • जंक-फूड, फास्‍ट फूड नहीं खाएं
  • तला-भुना एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन का सेवन बिल्कुल न करें
  • तकलीफ बढ़ने पर डॉक्‍टर से संपर्क

Health News: जानें इन घरेलू उपायों को भी, जो हो सकते हैं मददगार

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  • एलोवेरा का इस्‍तेमाल: एलोवेरा के सूजनरोधक और चिकित्सकीय गुणों से बवासीर की जलन कम हो जाती है, और कब्ज की समस्या नहीं होती
  • सेब का सिरका: इसके सेवन से रक्तवाहिनियों को सिकोड़ने में मदद मिलती है। खूनी बवासीर में एक गिलास पानी में सेब के सिरके का एक चम्मच डालकर दिन में दो बार पिएं
  • जैतून का तेल: इस तेल में सूजन ठीक करने वाले गुण होते हैं।यह रक्तवाहिकाओं में आई सूजन को कम करता है। जैतून के तेल को बादी बवासीर के मस्सों पर लगाएं।
  • बादाम का तेल: शुद्ध बादाम के तेल में रुई को डुबोएं, तथा बादी बवासीर में मस्सों पर लगाएं। यह सूजन और जलन को कम करता है
  • नारियल:जटाओं को जलाकर राख या भस्म बनाएं। इसे ताजे मट्ठे में मिलाकर सुबह खाली पेट नियमित रूप से पिएं
  • अंजीर: 3 अंजीर एक गिलास पानी में भिगों दें। सुबह खाली पेट इसका सेवन कर, इस पानी को भी पिएं
  • नींबू: नींबू के रस में अदरक और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे पाइल्स में फायदा होगा

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है। APN NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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