राजस्‍थान की शान मशहूर ”Jal Mahal Palace”को लौटाया उसका पुराना स्‍वरूप, जल संरक्षण के साथ दिया पर्यावरण बचाने का भी संदेश

Jal Mahal Palace: जल महल में नर्सरी भी है। जहां करीब 1 लाख से भी ज्यादा पेड़ हैं। जिनकी देखरेख के लिए बड़ी संख्‍या में लोग तैनात हैं।इस काम में करीब 40 माली लगे हुए हैं। यह नर्सरी राजस्थान के सर्वाधिक ऊंचे पेड़ों वाला नर्सरी है।

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''Jal Mahal Palace''

Jal Mahal Palace: राजपूतों की भूमि राजस्‍थान में स्‍थित जल महल पैलेस देश ही नहीं बल्‍कि विदेशों में भी अपनी बेजोड़ वास्‍तुकला और सुंदरता के लिए मशहूर है। हालांकि पिछले कई वर्षों के दौरान देखरेख के अभाव और संरक्षण में कमी आने से इसकी चमक फीकी पढ़ने लगी थी।ऐसे में इसकी रौनक लौटाने और भव्‍यता बरकरार रखने के लिए यहां के स्‍थानीय प्रशासन और पर्यावरणविदों ने अथक प्रयास किए।

इसी का नतीजा है कि इतने वर्ष पुराना जल महल पैलेस आज दोबारा पूरे शान के साथ अपनी राजपूताना रियासत की संपदा को दिखा रहा है। इसकी सुंदरता और पर्यावरण से होने वाले नुकसान से बचाने में प्रो.विभूति सचदेव ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।

भारतीय वास्‍तु ज्ञान प्रणाली से जुड़ीं और मशहूर वास्‍तुकार प्रोफेसर सचदेव ने जल संरक्षण पर अनूठी पहल की है।मालूम हो कि देश में ऐतिहासिक जल महल पैलेस के जीर्णोद्धार सहित विभिन्न संरक्षण परियोजनाओं में एक सलाहकार के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकीं हैं।
इस बाबत उन्‍होंने संपूर्ण जयपुर शहर और उसके शिल्‍प और वास्‍तुकला को ध्‍यान में रखते हुए दो पुस्‍तकें भी लिखीं।जिनमें बिल्डिंग जयपुर” और “जयपुर सिटी पैलेस”प्रमुख है। दरअसल जल महल पैलेस, 18 वीं शताब्दी की एक उत्कृष्ट संरचना, सुंदर मान सागर झील के बीच शानदार विरासत के रूप में खड़ा है।

हालांकि बीच में पर्यावरणीय बदलाव और विभागीय उपेक्षा के चलते इसे काफी नुकसान पहुंचा था। बावजूद इसके जल महल पैलेस के पुराने रूप को लौटाने और इसके गौरव को पुनर्जीवित करने के लिए एक प्रोजेक्‍ट भी शुरू किया गया।

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Jal Mahal Palace: क्‍या थी समस्‍या?

Jal Mahal Palace:जल महल पैलेस पानी के बीचोंबीच बना हुआ है। ये उस दौर की वास्‍तुकला का नायाब उदाहरण है जब मानव के पास आज की तरह ही अत्‍याधुनिक तकनीक नहीं थी। पर्यावरणविदों के अनुसार मानसून सीजन में जल महल से निकलने वाला वेस्‍ट वाटर लालवास के नालों से होता हुआ यहां बने कानोता बांध में जाता है। ऐसे में अगर इस पानी को सुकली नदी तक पहुंचाया जाए, तो करीब 50 गांवों की प्‍यास भी बुझाई जा सकती है।

ऐसे में पहला कदम सुकली नदी तक जाने वाली करीब 8 किलोमीटर लंबी नहर को ठीक करवाना था।इसके साथ ही जल महल पैलेस और उसके आसपास के इलाकों में बढ़ते प्‍लास्‍टिक प्रदूषण को नियंत्रित करना भी था।पर्यटकों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना भी बेहद जरूरी था।इन कामों को पूरा करने प्रशासन और लोगों के साथ मिलकर पर्यावरण संरक्षण करने में प्रो. विभूति सचदेव ने काम किया।

Jal Mahal Palace:वास्‍तुकला और जलसंरक्षण की मिसाल है जल महल पैलेस

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Jal Mahal Palace:जयपुर में स्‍थित ‘जल महल’ पैलेस जयपुर-आमेर मार्ग पर मानसागर झील के मध्य में है।इसका निर्माण सवाई जयसिंह ने 1799 ईस्वी में करवाया था। इस महल के निर्माण से पहले जयसिंह ने जयपुर की जलापूर्ति के लिए यहां गर्भावती नदी पर बांध बनवाकर मानसागर झील का निर्माण करवाया था।इसे बनाने के पीछे मकसद जल संरक्षण के साथ ही लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रेरित करना भी था।

अरावली पहाड़ियों के गर्भ में स्थित जल महल को मानसागर झील के बीचों-बीच होने के कारण ‘आई बॉल’ के नाम से भी जाना जाता है।इसे ‘रोमांटिक महल’ के नाम से भी जाना जाता था। राजा अपनी रानी के साथ खास वक्त बिताने के लिए इस महल का इस्तेमाल करते थे।

इसके अलावा राजसी उत्सवों पर भी महल का इस्तेमाल होता था।लगभग 5 मंजिला बने जल महल की खासियत ये है कि इसका सिर्फ एक मंजिल ही पानी के ऊपर नजर आता है, जबकि बाकी के 4 मंजिल पानी के नीचे बने हैं। इस महल में गर्मी नहीं लगती। महल से पहाड़ और झील का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। खासकर

चांदनी रात में तो झील के पानी में स्थित यह महल बेहद ही खूबसूरत नजर आता है।जल महल में नर्सरी भी है। जहां करीब 1 लाख से भी ज्यादा पेड़ हैं। जिनकी देखरेख के लिए बड़ी संख्‍या में लोग तैनात हैं।इस काम में करीब 40 माली लगे हुए हैं। यह नर्सरी राजस्थान के सर्वाधिक ऊंचे पेड़ों वाला नर्सरी है।

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