पराली जलाने से जमीन हो रही बंजर, Air Pollution के साथ ही जल रहे पोषक तत्‍व

Air Pollution:पराली को खेत में जोतने, मिलाने और बिछाने के साथ गेहूं का झाड़ बढ़ता है। शोध में वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यदि पराली को गेहूं की बिजाई करने से 3 सप्ताह पहले खेत में दबा दिया जाए, मिला दिया जाए या फिर खेत में ही जोत दिया जाए तो उससे फायदा होता है।

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Air Pollution from burning of Parali
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Air Pollution: किसानों के हर साल पराली जलाने से जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन के स्‍तर में लगातार कमी आ रही है, जिससे जमीन बंजर होने की संभावना है। आईसीएआर के वैज्ञानिकों के अनुसार किसान पराली जलाकर अपने खेतों को बंजर बना रहे हैं। मिट्टी के लिए ऑर्गेनिक कार्बन बेहद जरूरी है। अगर मिट्टी में इसकी कमी हो जाए तो किसानों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले केमिकल फर्टिलाइजर भी काम करना बंद कर देंगे। इसका फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। अच्छी फसल के लिए मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन होना बेहद जरूरी है। मिट्टी में सामान्य तौर पर अगर ऑर्गेनिक कार्बन 5 फीसदी से ज्यादा है तो अच्छा है। लेकिन पिछले कुछ सालों में देश के कई हिस्सों में मिट्टी में इसकी मात्रा 0.5 फीसदी पर पहुंच गई है जो बेहद खतरनाक स्थिति है।

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Air Pollution: पराली के साथ जल जाते हैं पोषक तत्व

Air Pollution: विशेषज्ञों के अनुसार एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पराली के साथ पंजाब में 1.50 से 1.60 लाख टन नाइट्रोजन और सल्फर के अलावा कार्बन भी जलकर राख हो जाती है। जिसकी कीमत करीब 160 से 170 करोड़ रुपये है। पीएयू वैज्ञानिकों की शोध बताती है कि एक एकड़ में पराली जलाने से 18 से 20 किलो नाइट्रोजन, 3.2 से 3.5 किलो फासफोरस, 56 से 60 किलो पोटाश, चार से पांच किलो सल्फर और कई सूक्ष्म तत्व जलकर राख हो जाते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो एक टन पराली जलाने से 400 किलो जैविक कार्बन, 5.5 किलो नाइट्रोजन, 2.3 किलो फासफोरस, 25 किलो पोटाश, 1.2 किलो सल्फर का नुकसान होता है।

Air Pollution: मिट्टी को उपजाऊ बनाती है पराली

Air Pollution: पराली को खेत में जोतने, मिलाने और बिछाने के साथ गेहूं का झाड़ बढ़ता है। शोध में वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यदि पराली को गेहूं की बिजाई करने से 3 सप्ताह पहले खेत में दबा दिया जाए, मिला दिया जाए या फिर खेत में ही जोत दिया जाए तो उससे फायदा होता है। ऐसा लगातार तीन-चार वर्ष तक करने पर चौथे वर्ष गेहूं के झाड़ में वृद्धि होती है। जहां पराली को खेत से बाहर निकाल दिया गया, वहां धान का झाड़ 24 क्विंटल और गेहूं का झाड़ 19.6 क्विंटल प्रति एकड़ रहा। हैप्पी सीडर के साथ खेत की सतह पर पराली रखने से मिट्टी में जैविक कार्बन 0.42 से बढ़कर 0.65 फीसदी हो जाती है।

Air Pollution: पूसा डीकंपोजर का करें छिड़काव

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने पूसा डीकंपोजर विकसित किया है। इसके छिड़काव से किसानों को खेतों में पराली जलानी नहीं पड़ती। पर्यावरण को बिल्कुल नुकसान नहीं पहुंचता और मिट्टी की उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी होती है।

Air Pollution: पराली जलाने से बढ़ रहा प्रदूषण

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Air Pollution.

हरियाणा के कई जिलों में धान की कटाई का काम पूरा हो चुका है, जिसकी वजह से किसानों ने खेतों में पराली जलाना शुरू कर दिया है। करनाल में अभी तक पराली जलाने के 117 मामले सामने आ चुके हैं।जानकारी के अनुसार पिछले साल इस समय तक पराली जलाने की 396 घटनाएं सामना आईं थी, जोकि इस वर्ष करीब 70 प्रतिशत तक कम हुई हैं।

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