Yogi Adityanath: योगी आदित्यनाथ दूसरे कार्यकाल के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शुक्रवार यानि आज शपथ लेंगे। उनका शपथ ग्रहण समारोह शाम 4 बजे लखनऊ के भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी इकाना क्रिकेट स्टेडियम में होगा। समारोह के भव्य होने की उम्मीद है और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और भाजपा शासित राज्यों के विभिन्न मंत्रियों सहित पार्टी के शीर्ष नेता मौजूद रहेंगे।
बता दें कि योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह बिष्ट है। उनका जन्म 5 जून, 1972 को हुआ था। वह 1998 में 26 साल की उम्र में 12वीं लोकसभा के लिए चुने जाने वाले सबसे कम उम्र के सदस्य बने। आइए योगी आदित्यनाथ की जीवनी पर एक नज़र डालते हैं।
Yogi Adityanath के पिता थे फॉरेस्ट रेंजर
योगा आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट वन रेंजर थे। योगी सात भाई-बहन हैं। इनमें तीन बहनें और चार भाई हैं। योगी पांचवें नंबर पर हैं। मां सावित्री देवी गृहिणी हैं। आदित्यनाथ ने अपनी प्राथमिक शिक्षा पौड़ी और ऋषिकेश के स्थानीय स्कूलों में पूरी की। उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
1990 के आसपास, वह अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में शामिल हो गए और गोरखनाथ मठ के मुख्य पुजारी महंत अवैद्यनाथ के शिष्य बन गए। इसके बाद, उन्हें ‘योगी आदित्यनाथ’ नाम मिला और उन्होंने महंत अवैद्यनाथ का स्थान भी लिया।महंत अवैद्यनाथ ने लगभग 1994 में योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी नामित किया और गोरखनाथ मठ के मुख्य पुजारी बने। फिर, गोरखनाथ ट्रस्ट फंड द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों का प्रबंधन करना उनका कर्तव्य था।
बड़ी बहन की चाय-नाश्ते की दुकान
योगी आदित्यनाथ की बहन शशि भुवनेश्वरी देवी मंदिर के पास चाय-नाश्ते की दुकान चलाती हैं। शशि पयाल के अलावा योगी की दो अन्य बहनें मीडिया के सामने नहीं आती है। शशि ही ज्यादातर मीडिया के सामने आती हैं। शशि ने एक बार बताया था कि अब तो आपका भाई मुख्यमंत्री है। देश का इतना बड़ा नेता है। फिर भी आप लोग ऐसी हालत में क्यों रहती हैं?
इसका जवाब देते हुए शशि ने कहा था कि हर पार्टी के नेता के घरवाले भी राजनीति में आ जाते हैं। हमारे यहां ऐसा नहीं है। अगर हम भी उन्हीं के तरह बन जाएंगे तो ये परिवारवाद हो जाएगा। हम नहीं चाहते और भाई (योगी आदित्यनाथ) का भी यही बोलना है कि अपना कमाओ और खाओ…. खूब मेहनत करो।
Yogi Adityanath के ‘बाबा बुलडोजर’ बनने की कहानी
योगी आदित्यनाथ मार्च 2017 में यूपी के मुख्यमंत्री बने । पांच साल में 141 से ज्यादा एनकाउंटर हुए और 13 से ज्यादा बाहुबलियों के घरों पर बुलडोजर चला। भाजपा ने इसका सुरक्षा, अपराध मुक्त राज्य जैसे टैगलाइन के साथ प्रचार किया । बता दें कि वैसे ‘बुलडोजर बाबा’ की खोज अखिलेश यादव ने की थी।
यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान 20 जनवरी को तीसरे चरण का मतदान कन्नौज-इटावा समेत 16 जिलों में हो रहा था। अखिलेश यादव चौथे चरण के लिए अयोध्या में रैली कर रहे थे। उन्होंने मंच से कहा कि जो लोग जगहों के नाम बदलते थे, आज एक अखबार ने उनके नाम बदल दिए हैं। हो सकता है कि अखबार अभी गांवों तक नहीं पहुंचा हो। आपको बता दें, उनका नया नाम “बाबा बुलडोजर” है।
योगी आदित्यनाथ ने इसके बाद से ही इसका प्रचार शुरू कर दिया। जिसके बाद बुलडोजर का उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक अहम स्थान भी कायम हो गया।
Yogi Adityanath का राजनीतिक करियर
1980 के दशक में भाजपा और संघ परिवार के अयोध्या आंदोलन में योगी शामिल हुए। 1991 में उन्होंने भाजपा में प्रवेश किया, लेकिन फिर भी महत्वपूर्ण स्वायत्तता बनाए रखी। आदित्यनाथ ने अवैद्यनाथ का उत्तराधिकारी नामित किए जाने के चार साल बाद, भारतीय संसद के निचले सदन के लिए चुने गए अपनी पहली चुनावी जीत के बाद, आदित्यनाथ ने अपना युवा संगठन हिंदू युवा वाहिनी शुरू किया, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपनी गतिविधियों के लिए जाना जाने लगा।
आदित्यनाथ 26 साल की उम्र में 12वीं लोकसभा के सबसे कम उम्र के सदस्य थे। वे लगातार पांच बार गोरखपुर से संसद के लिए चुने गए। आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश राज्य में 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए एक प्रमुख प्रचारक थे। राज्य सरकार ने उन्हें 18 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री नियुक्त किया; भाजपा के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद अगले दिन उन्हें शपथ दिलाई गई थी।
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