दिल्ली मरकज की मीटिंग में शामिल व्यक्ति के वापस अपने घर आने पर उस पर हत्या के प्रयास की धारा (section 307 of IPC) में मुकदमा दर्ज किए जाने को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करार दिया है। कोर्ट ने इस मामले में एसएसपी व क्षेत्राधिकारी मऊ से व्यक्तिगत जवाब मांगा। कोर्ट ने कहा कि पुलिस का यह कृत्य कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

मामले के अनुसार याची पर आरोप है कि यह जानते हुए भी कि तब्लीगी जमात में शामिल लोग कोरोना वायरस महामारी से संक्रमित पाए गए हैं,  उसने दिल्ली से लौटने के बाद खुद को छिपाए रखा। अपना मेडिकल परीक्षण नहीं कराया । बाद में सूचना मिली कि दिल्ली से  लौटे कुछ लोग क्वारेंटीन हैं । मेडिकल परीक्षण में  याची की रिपोर्ट निगेटिव आई थी।

हाईकोर्ट ने याची मोहम्मद साद के खिलाफ  धारा 307 व 270 IPC के तहत दाखिल आरोप पत्र में मुकदमा की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी है ।  कोर्ट  इस केस की सुनवाई 15 दिसंबर को करेगी ।

मोहम्मद साद की ओर से पुलिस द्वारा पेश चार्जशीट को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका पर न्यायमूर्ति अजय भनोट सुनवाई कर रहे हैं । कोर्ट ने आपराधिक केस की सुनवाई पर अग्रिम आदेश तक के लिए रो लगा दी है ।

याची का कहना था कि पुलिस ने पहले इस मामले में IPC की धारा 269 (संक्रमण फैलाने के लिए उपेक्षापूर्ण काम करना) और 270 (जीवन को खतरे में डालने वाली बीमारी फैलाना) के अन्तर्गत आरोप पत्र दाखिल किया था। बाद में  क्षेत्राधिकारी के कहने पर आरोप पत्र में संशोधन किया गया और 307 व 270 IPC के तहत संशोधित आरोप पत्र दाखिल किया गया ।

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