विजय माल्या की तरह एस कुमार्स के मालिक नितिन कासलीवाल दूसरे माल्या बने इससे पहले ही कोर्ट ने उनके भगौड़ा न हो पाने की व्यवस्था कर दी है। बैंकों का ऋण चुकाए बिना अब  वह माल्या की तरह देश छोड़कर भाग नहीं सकते क्योंकि कर्नाटक हाई कोर्ट ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया है। यह तब तक उन्हें नहीं मिलेगा जब तक कि वो बैंकों का ऋण चुकता नहीं कर देते।

दरअसल नितिन ने देश के कई बड़े बैंकों से करीब 6,500 करोड़ का लोन ले रखा है। बैंकों को डर है कि नितिन भी विजय माल्या की तरह उनका पैसे लेकर भाग सकते हैं। इसके अलावा कासलीवाल को आईडीबीआई ने विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया है। वह भारत के पहले ऐसे बिजनेसमैन हैं जिनकी फोटो किसी बैंक ने ‘नेम ऐंड शेम’ के तहत लोन डिफॉल्टर्स की सूची में प्रकाशित की है।

बता दें कि 21 दिसंबर 2016 को बेंगलुरु में ऋण वसूली प्राधिकरण (डीआरटी) ने एक आदेश पारित किया था जिसमें नितिन के पासपोर्ट को सीज कर दिया गया था। कासलीवाल के ऊपर आईडीबीआई, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक, सेन्ट्रल बैंक, जम्मू-कश्मीर बैंक और इंडियन बैंक का कर्ज है। इन बैंकों से उन्होंने निजी गारंटी पर अपनी कंपनियों, एसकेएनएल, आरटीआईएल और बीएचआरएल के लिए लोन लिए थे।

वहीं कासलीवाल के वकील की माने तो कासलीवाल का विदेश जाना बेहद जरूरी है। उनकी दो फैक्ट्रियों में 3,000 लोग काम करते हैं। इनके व्यवसाय के सिलसिले में उन्हें विदेश जाना है। पर कोर्ट ने माल्या केस को देखते हुए और बैंकों का तर्क मानते हुए कासलीवाल की वह अर्जी खरिज कर दी जिसमें उन्होंने पासपोर्ट रिलीज किए जाने की प्रार्थना की थी।

उधर कासलीवाल के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी को उसकी गरीबी और परिस्थितयों के कारण करार की शर्तों को न मानने पर जेल नहीं भेजा जा सकता। उन्होंने यह भी कह कि डीआरटी के पास पासपार्ट जब्त करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि वे पहले भी विदेश जा चुके हैं और तब उन्होंने कोर्ट की सारी शर्तों को माना था।

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