यह देश की अर्थव्यस्था में शायद पहला उदाहरण होगा जहां किसी सरकार की हिस्सेदारी वाली कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी उस कंपनी के कर्मचारी मिल कर खरीद लें। सरकार का निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग  एक सार्वजनिक उपक्रम पवन हंस में सरकार की हिस्सेदारी बेच रहा है। इसकी रकम 500 करोड़ रुपये के आसपास है।  और सरकारी हेलिकॉप्टर ऑपरेटर पवन हंस के 300 से ज्यादा कर्मचारियों का संघ कंपनी में सरकार की 51% हिस्सेदारी खरीदने के प्रस्ताव तैयार कर रहा है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार, ‘कर्मचारियों की ओर से बोली लगाए जाने का एक प्रावधान है और उन्होंने कहा है कि वे एक प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं।’ अगर कर्मचारियों ने हिस्सेदारी खरीद ली तो यह वाकई ऐतिहासिक होगा।

हालांकि इसके लिए कर्मचारी शुरुआती दौर में  अपनी जेब से पैसा नहीं लगाएंगे ।एंप्लॉयीज किसी प्राइवेट इक्विटी या वेंचर कैपिटल फंड के साथ समझौता करेंगे जो उनकी तरफ से सरकारे के शेयर खरीदेगा। इसके लिए उन्हें 10 प्रतिशत तक का स्टॉक ऑप्शन दिया जाएगा। मामले से वाकिफ एक व्यक्ति ने बताया कि एंप्लॉयीज पवन हंस में निवेश के लिए विभिन्न वित्तीय संस्थानों से बातचीत कर रहे हैं। पवन हंस में बाकी 49% हिस्सा सरकारी कंपनी ऑइल और नैचरल गैस कॉर्पोरेशन का है।

शुक्रवार हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी जताने का आखिरी दिन था। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एंप्लॉयीज ने तब पूछताछ की और सात दिनों का एक्सटेंशन ले लिया। सरकार ट्रांजैक्शन अडवाइजर के रूप में एसबीआई कैपिटल मार्केट्स की सेवा ले रही है।

वजह चाहे जो रही हो , इतना तो तय है कि कर्मचारियों के हौसले बुलंद है। और यदि कर्मचारियों का संघ कंपनी में सरकार की 51% हिस्सेदारी खरीदने के प्रस्ताव तैयार कर रहा है तो उसे भरोसा है कि उनका यह दांव उलटा नहीं पड़ेगा। उम्मीद है कि कर्मचारी संघ अपनी उम्मीदे पूरी कर पाए और पवन हंस को आसमान की और उंचाई से रुबरु कराए।

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