भारत के प्रधानमंत्री से लेकर आम आदमी तक के सफ़र की गवाह रही भारतीय कार एंबैसडर अब भारतीय नहीं रही है। इस कार कंपनी को अब फ्रेंच कंपनी पूजो ने खरीद लिया है। सीके बिड़ला ग्रुप के मालिकाना हक वाली हिंदुस्तान मोटर्स ने ‘एंबैसडर’ को मात्र 80 करोड़ रुपये में बेच दिया है। भारत में इस कार का निर्माण और बिक्री मई 2014 में ही बंद किया जा चुका है। भारतीय कार बाज़ार में लम्बे समय तक राज़ करने वाली इस दिग्गज कार की बिक्री में कमी आने के बाद इसके उत्पादन को बंद करना पड़ा था

amabassador grab

सीके बिड़ला ग्रुप के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर बताया है कि  ‘हमने अपने ब्रांड और ट्रेडमार्क ऐंबैसडर को पूजो एसए ग्रुप को बेचने का समझौता किया है। हम इसे बेचने के लिए एक सही खरीददार देख रहे थे। फ्रेंच कंपनी पूजो एक सही खरीददार है। इस सौदे के बाद हम कर्मचारियों के बकाये और अन्य देनदारियों का भुगतान कर सकेंगे।’  हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि पूजो भारत में अपनी कारों के लिए ऐंबैसडर ब्रैंड का प्रयोग करेगा या नहीं।

भारत में ‘एंबैसडर’ को करीब 70 साल पहले लांच किया गया था। बहुत ही कम दिनों के अंतराल में यह ब्रांड सत्ता से लेकर आम आदमी तक की पहली पसंद बन गया था। लोकप्रियता का आलम ऐसा था कि 1980 के दशक में हर साल 24,000 कारों की बिक्री होती थी। 2013-14 में यह संख्या घटकर 2500 पर आ गई थी। इसके बाद इसके उत्पादन को बंद कर दिया गया था। हिंदुस्तान मोटर्स का उत्तरपारा स्थित प्लांट,जापान के टोयोटा प्लांट के बाद एशिया का सबसे पुराना कार निर्माण करने वाला प्लांट था।  आपको बता दें इसे खरीदने वाली कंपनी पूजो की भारतीय बाज़ार में कोई बहुत बड़ी साझेदारी नही है।  यह कंपनी मित्सुबिशी के लिए सालाना केवल बारह हज़ार गाड़ियों का निर्माण चेन्नई में करती है।

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