Karnataka Election Results: कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। दोपहर 12 बजे तक के ताजा चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस 117 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि भाजपा 75 सीटों पर आगे है। जद(एस) 25, कल्याण राज्य प्रगति पक्ष और सर्वोदय कर्नाटक पक्ष में एक-एक सीट पर आगे चल रहा है, जबकि 7 निर्दलीय उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। मतगणना राज्यभर के 36 केंद्रों पर हो रही है, जिसमें 2,615 उम्मीदवार मैदान में हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, 10 मई को रिकॉर्ड 72.68% मतदान हुआ था।
बता दें कि पिछला एक दशक कांग्रेस के लिए बहुत ही बुरा रहा है। इस दौरान चुनाव दर चुनाव कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा। इसके साथ ही इस दौरान उसे हिमाचल और राजस्थान को छोड़ दें, तो कई राज्यों में हार का सामना करना पड़ा था। इन 10 सालों में दो बार 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव हुए। दोनों बार ही कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा। 2014 के लोकसभा चुनाव में तो कांग्रेस ने अब तक का अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया। उसे सिर्फ़ 44 सीटें हासिल हो पाई। वहीं 2019 में भी कांग्रेस के प्रदर्शन में कोई ख़ास सुधार नहीं हुआ और वो 52 सीट ही ला पाई। सामने है 2024 लोकसभा चुवाव। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का सूखा खत्म होता दिख रहा है। कर्नाटक में मोदी मैजिक को फेल करने वाले राहुल गांधी की पार्टी कांग्रेस की बड़ी जीत की बड़ी वजहें जानते हैं:
चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने झोंकी पूरी ताकत
बता दें कि कर्नाटक में कांग्रेस के जीत की सबसे बड़ी वजह रही चुनाव प्रचार। कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव में अपनी पूरी ताक़त झोंक दी थी। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी आक्रामक प्रचार कर रहे थे। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी राज्य में जी-जान से जुटे हुए थे।
भारत जोड़ो यात्रा का असर
राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के ज़रिए उन सभी सवालों को ख़ारिज कर दिया है जो उन पर उठते रहे थे। पहले कहा जाता था कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद नहीं छोड़ेंगे, उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ा, फिर कहा गया कि वो ख़ुद अध्यक्ष बन जाएंगे, लेकिन वो नहीं बने, इसके बाद कहा गया कि अध्यक्ष के चुनाव को टाल दिया जाएगा, लेकिन वो भी नहीं टाला गया। ऐसा कुछ नहीं हुआ और राहुल गांधी ने जो काम करना तय किया था, वो उसमें लगे रहे और उसे पूरा किया। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कर्नाटक में वो गली-गली पहुंचे। लोगों से मिले। लोगों का दुख-दर्द बांटा। कहीं न कहीं इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका फायदा मिला है।
सत्ता विरोधी लहर
कर्नाटक ने 1985 के बाद से सत्ताधारी पार्टी को कभी वोट नहीं दिया। कांग्रेस को इस ट्रेंड से भी फायदा हुआ है। इसके साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का मुख्य चेहरा बनने की उसकी कवायद को भी बल मिला है।
मोदी मैजिक भी खत्म
मोदी मैजिक अब खत्म हो चुका है। कर्नाटक में कांग्रेस भारी बहुमत से सरकार बना रही है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी की ताबड़तोड़ रैलियों और रोड शो के बाद भी माहौल नहीं बदला। चुनाव की घोषणा लेकर अब तक पीएम मोदी ने राज्य में 16 जनसभाएं की। इसके अलावा उन्होंने 6 से ज्यादा रोड शो भी किए, लेकिन सबका सब धरा ही रह गया। मोदी मैजिक को बेअसर कर कांग्रेस राज्य की सत्ता में लौट रही है।
भाजपा की अस्थिर सरकार से मतदाता परेशान?
साल 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कुल 72.10% वोटिंग हुई थी। 224 सीटों वाली विधानसभा में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। हालांकि, कुल 104 सीटें जीतकर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। कांग्रेस के खाते में 80 सीटें आई। वहीं जेडीएस के 37 उम्मीदवारों ने चुनाव में जीत दर्ज की। सबसे बड़ा दल होने के चलते भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिला। बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने। हालांकि, येदियुरप्पा बहुमत साबित नहीं कर सके और उन्हें छह दिन में ही कुर्सी छोड़नी पड़ी।
बाद में जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनी। जेडीएस के कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने। लेकिन, जेडीएस के विधायकों की इस्तीफे के कारण सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई। करीब 14 महीने बाद कांग्रेस और जेडीएस की सरकार गिर गई। जब विधायकों ने पाला बदला तो भाजपा ने येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनाई। बाद में येदियुरप्पा ने पद से इस्तीफा दे दिया, उसके बाद से बसवराज बोम्मई ने उनकी जगह ली। राज्य के मतदाताओं ने करीब से भाजपा की अस्थिर सरकार देखी।
लिंगायतों का भी मिला समर्थन
कांग्रेस की लिंगायत समुदाय को रिझाने की कोशिश सफल रही और भाजपा के लिए एक बड़ा झटका रहा। कांग्रेस ने 165 उम्मीदवारों में से लिंगायत समुदाय के सदस्यों को 30 और वोक्कालिगा समुदाय के सदस्यों को 24 टिकट आवंटित किए थे। पार्टी के इस फैसले का उस पर काफी साकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है। लिंगायतो ने दिल खोल कर कांग्रेस का साथ दिया है। बता दें कि मतदान से पहले कर्नाटक वीरशैव लिंगायत फोरम ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया था।
हिजाब मामले से दूरी बनाना रहा फायदेमंद
शैक्षिक संस्थानों में मुस्लिम लड़कियों के ‘हिजाब’ पहनने का विवादास्पद मुद्दा, जो पिछले साल उडुपी में एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज द्वारा कक्षाओं के अंदर प्रतिबंधित करने के साथ राष्ट्रीय सुर्खियां बटोर चुका था, 10 मई को होने वाले चुनावों के लिए एक गंभीर अभियान मुद्दा नहीं बन पाया। भाजपा हो या कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान हिजाब मुद्दो पर ज्यादा बात नहीं हुई। कहीं न कहीं इसका भी कांग्रेस को फायदा मिला।
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