जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने फिर कहा है कि सिर्फ पीएम मोदी ही कश्मीर समस्या का समाधान निकाल सकते हैं। महबूबा ने कहा कि सत्ता संभालने के बाद मोदी का पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के जन्मदिन पर लाहौर जाना कमजोरी का नहीं बल्कि एनडीए सरकार की ताकत का प्रतीक है। वहीं कश्मीर के शोपियां में सुरक्षा बलों ने बीस गांवों में सर्च अभियान चलाया। पिछले 15 वर्षों में पहली बार एक साथ तीन हजार जवानों ने करीब आठ घंटे तक कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया। इस अभियान को घाटी में सुरक्षा बलों की नीति में बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।  महबूबा मुप्ती का यह बयान कश्मीर में चल रहे पत्थरबाजी वाले माहौल को देखते हुए काफी अहम माना जा रहा है। कुछ दिनों पूर्व तक ऐसा लग रहा था कि पत्थरबाजी की वजह से बीजेपी और पीडीपी के रिश्तों में तल्खी आयी है। लेकिन इस बयान के बाद तस्वीर कुछ-कुछ बदली-बदली सी नजर आ रही है। लेकिन सवाल यह भी उठ रहा है कि कश्मीर में चल रही पत्थरबाजी पर लगाम कैसे लगे। वहां पनप रहे आतंकवाद का खात्मा कैसे किया जायें। सरकार के सामने एक बड़ा सवाल है।

शनिवार 6 मई को एपीएन न्यूज के खास कार्यक्रम मुद्दा में दो अहम विषयों पर चर्चा हुई। इसके पहले हिस्से में कश्मीर में आतंकवादियों के खात्मे पर चर्चा हुई। इस अहम विषय पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू ( सलाहकार संपादक APN), रिटायर्ड मेजर जनरल एस पी सिन्हा( रक्षा विशेषज्ञ), नरेन्द्र सिंह राणा ( प्रवक्ता यूपी बीजेपी) ओंकार नाथ सिंह (प्रदेश महासचिव यूपी कांग्रेस) शामिल थे।

एस पी सिन्हा ने कहा कि यदि सचमुच में महबूबा मुप्ती प्रधानमंत्री जी के लिए विश्वास जता रही हैं तो यह प्रशंसा का विषय है। मुझे इसमें राजनीति का अंश नजर आता है। जो महबूबा जी जिनका इतिहास आतंकवाद से जुड़ा रहा है। वो राष्ट्रहित में बात नही करती हैं। जो अपनी वोटबैंक की राजनीति करती हैं जो गणतंत्र दिवस पर झंडा भी ठीक से नही फहराती है। वो जब ऐसा कहती हैं तो कही ना कही शक पैदा होता है।

नरेन्द्र सिंह राणा ने कहा कि देश सबका है देश के बारे में सबको सोचना चाहिए। मुट्ठी भर लोग जो ऐसे कदम उठा रहे हैं सरकारें उनके खिलाफ सख्त कार्यवाई करें। कश्मीर की जो आज समस्या है उसमें मुख्यमंत्री को अलग नही कर सकते। इसमें उनकी भी जिम्मेदारी बनती है।

ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर की स्थिति इस समय बहुत ही भयावह है। कश्मीर की स्थिति इतनी डरावनी है जिसकी कल्पना नही की जा सकती है। 1990 से भी बदतर स्थिति हो गई। है जो नयह लड़के-लड़कियां पत्थरबाजी का काम कर रहे हैं वो यह भी नही सोचते कि उनके माता-पिता क्या सोच रहे होगें। यह मामला बहुत गम्भीर है। सरकार जो भी काम कर रही है इस आंदोलन को दबाने के लिए इसमें हम उसके साथ हैं।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि यह कदम भी सुरक्षात्मक कदम है क्यों कि हाल के दिनों में उस इलाके की वीडियो क्लिप देखी गई थी जिसमें बड़ी संख्या में प्रशिक्षित आतंकवादियों को दिखाया गया था कि वो उस इलाके में घूम रहे हैं और तस्वीरें खींच रहे हैं। उसके बाद मुझे लगता है कि यह वक्त की जरुरत पड़ गई थी। इस तरह के कदम निश्चित तौर पर चीजों को ठीक करने में मदद करते हैं। ऐसे कदम सेना  कोई पहली बार नही उठा रही है।

 

सफाई में यूपी फिसड्डी क्यों ?

स्वच्छता में पिछड़ने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सफाई का बीड़ा अब खुद ही उठा लिया है। सीएम योगी आज राजधानी लखनऊ की सड़क पर झाड़ू लेकर खुद निकल पड़े। मुख्यमंत्री का मकसद यहां लोगों के बीच साफ-सफाई को लेकर जागरूकता फैलाने और यूपी को स्वच्छता के मामले में अव्वल बनाने का है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने भी साफ-सफाई की। सीएम योगी स्वच्छता के मामले में उत्तर प्रदेश को एक मिसाल बनाना चाहते हैं। लेकिन सवाल यह है कि आखिर यूपी सफाई के मामले में इतनी पीछे क्यों है। पिछली सरकारों से कहा चूक होती रही जो यूपी सफाई के मामले में इतना फिसड्डी साबित हुआ है।

इसके दूसरे हिस्से में सफाई में फिसड्डी यूपी पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए भी विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू , नरेन्द्र सिंह राणा ओंकार नाथ सिंह आर जी गुप्ता ( टाउन प्लानर) शामिल थे।

नरेन्द्र सिंह राणा ने कहा कि जो भी योजना तैयार की जाती है अगली सरकार आते ही उसका एजेंडा दूसरा हो जाता है। लेकिन एक ऐसी सरकार आती है जो समस्याओं पर ध्यान रखकर मूलभूत आवश्यकताओं को देखती है

ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि योजना बनाकर हम अपने शहर को कितना बढ़िया बना सकते हैं यह अलग बात है। एक दूसरा पहलू यह हैं कि जो हमारे पास साधन है उसका प्रयोग करके हम अपने शहर को कितना साफ कर सकते हैं। भारत सरकार ने सफाई की जो रैंकिंग की है मैं उस रैंकिंग से सहमत नही हूं। 32 वां नबंर वाराणसी को रैंकिंग में दिया गया है वाराणसी जैसा था वैसा ही है यह सिर्फ प्रधानमंत्री जी को खुश करने के लिए किया है।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि सरकारों का बदलना एक वजह हो सकती है लेकिन जो हमारी सामाजिक संस्कृति है वो सफाई के लिए कितना जिम्मेदार है यह बहुत बड़ा सवाल है। जब तक चीजों को अपने स्तर से सुधारने की कोशिश न किया जाए तब तक चीजें सुधर नही सकती। आपका लक्ष्य अगर सफाई के प्रति संवेदनशील होगा तब चीजें साफ हो सकेंगी।

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