Rahul Gandhi: सूरत जिला अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी कथित “मोदी” टिप्पणी के लिए मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई। इसके तुरंत बाद, अदालत ने उन्हें जमानत दे दी। हालांकि, अदालत ने राहुल को 30 दिनों का मौका दिया है ताकि वो उच्च न्यायालय में अपील कर सकें। राहुल गांधी को आईपीसी की धारा 504 के तहत दोषी ठहराया गया है। इस धारा के तहत अधिकतम संभावित सजा दो साल है।
भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया था। बता दें कि राहुल गांधी ने कहा था कि ‘सभी चोरों का नाम मोदी है’? कायतकर्ता ने दावा किया कि यह टिप्पणी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली में की गई थी। उन्होंने कहा कि इससे पूरे मोदी समुदाय की भावना को ठेस पहुंचा है।
क्या Rahul Gandhi की संसद सदस्यता जाएगी?
बता दें कि राहुल को मानहानि मामले में सजा के बाद से कहा जा रहा है कि उनकी संसद सदस्यता जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के लिलि थॉमस फैसले के मुताबिक दो साल या दो साल से अधिक सजा पर सदन से सदस्यता जा सकती है। वहीं, अदालत ने राहुल गांधी को 30 दिन का वक्त दिया है। अगर राहुल गांधी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से सजा पर रोक लगवाने में कामयाब रहे तो उनकी संसद सदस्यता पर आंच नहीं आएगी। वहीं, अगर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी राहुल गांधी दोषी पाए जाते हैं तो तत्काल प्रभाव से उनकी सदस्यता चली जाएगी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के एक फैसले में कहा था कि अगर कोई भी सांसद या विधायक किसी मामले में दोषी करार दिया जाता है या दो साल की सजा पाता है तो उसकी सदस्यता तुरंत प्रभाव से रद्द हो जाती है।
संसद सदस्यता जाने के क्या हैं नियम?
जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के अधिनियम की धारा 8(3) में प्रावधान है कि मानहानि अपराध के लिए विधायिका सदस्य को यदि 2 वर्ष से अधिक के कारावास की सजा होती है तो उसकी सदस्यता आयोग्य मानी जाएगी। ऐसे में राहुल गाधी की सदस्यता जाते-जाते बची है। हालांकि, अपनी इस सजा के खिलाफ राहुल के पास हाईकोर्ट जाने का विकल्प खुला हुआ है। उन्हें इस मामले में जमानत मिल गई और वह सूरत से दिल्ली के लिए रवाना हो गए। हालांकि, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (4) यह भी कहती है कि कोई भी जनप्रतिनिधि किसी भी मामले में दोषी ठहराए जाने की तिथि से तीन महीने की तिथि तक और अगर दौरान वो अपील दायर करता है तो उसका निबटारा होने तक अपने पद के अयोग्य घोषित नहीं होगा।
यह भी पढ़ें: