Pegasus Case: पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित टेक्निकल कमिटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी है। मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी को होनी थी, लेकिन सॉलिसिटर जनरल के अनुरोध पर तारीख आगे बढ़ा दी गई है। ।सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट कमिटी की ओर से दी गई अंतरिम रिपोर्ट पर विचार करेगा। सूत्रों का यह भी कहना है कि पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए नियुक्त समिति ने अपनी जांच पूरी करने के लिए कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की है।
जानकारी के मुताबिक कमिटी के सामने अब तक पत्रकार एन राम, सिद्धार्थ वरदराजन और परंजॉय गुहा ठाकुरता समेत 13 लोग ही अपना पक्ष रख सके हैं, जबकि 2 लोगों ने अपने मोबाइल फोन फॉरेंसिक जांच के लिए कमेटी को सौंपे हैं।
Pegasus Case: पूर्व जज की देखरेख में समिति गठित
सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरवी रवींद्रन की देखरेख में गठित जांच समिति ने मामले से जुड़े कई पहलुओं पर ध्यान देना शुरू किया। इस बाबत पिछले माह समाचार पत्रों में एक विज्ञापन भी जारी किया गया। जिसमें उन लोगों से फोन जमा करने का आह्वान किया गया था। जिनका दावा था,कि उनके उपकरण पेगासस से संक्रमित थे। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर को जांच के लिए 3 सदस्यों की कमेटी बनाई थी। जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आरवी रवींद्रन को सौंपी गई।
सुनवाई की तारीख बढ़ाई
पेगासस जासूसी केस को लेकर सॉलिसिटर जनरल की अपील पर सु्प्रीम कोर्ट ने सुनवाई की तारिख बढ़ा दी। सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि सभी पक्षों को इस बारे में सूचित कर दें। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने कहा कि वह बुधवार को अन्य मामलों में काफी व्यस्त हैं, इसलिए उन्होंने सुनवाई टालने की मांग उठाई। सुप्रीम कोर्ट में पेगासस जासूसी मामले में 23 फरवरी को सुनवाई के लिए लाया गया था।
क्या है पेगासस मामला
गौरतलब है कि इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस सॉफ्टवेयर से भारत में कथित तौर पर 300 से ज्यादा हस्तियों के फोन हैक किए जाने का मामला सामने आया था। पिछले वर्ष संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत से ऐन एक दिन पहले ही इस जासूसी कांड का खुलासा हुआ था। दावा किया जा रहा था,कि जिन लोगों के फोन टैप किए गए।
उनमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह पटेल, पूर्व निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर सहित कई पत्रकार भी शामिल हैं। हालांकि, सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। रिपोर्ट जारी होने की टाइमिंग को लेकर भी सवाल खड़े किए गए थे।
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