कनाडा ने इस हफ्ते खुलासा किया कि उसके पास खालिस्तान आतंकी की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों के शामिल होने की खुफिया जानकारी है। वैसे तो इस तरह की खबरें आम तौर पर देशों के बीच हंगामा पैदा करती हैं लेकिन इस बार ऐसा हुआ नहीं। माना जा रहा है कि भारत को अमेरिका और अन्य देशों द्वारा चीन को चुनौती के रूप में पेश किया जा रहा है तो ऐसे में सिर्फ 4 करोड़ की आबादी वाला कनाडा कूटनीतिक रूप से भारत को चुनौती कैसे दे सकता है।
वैश्विक राजनीति को समझने वालों का मानना है कि चूंकि भारत को चीन को चुनौती के रूप में पेश किया जा रहा है इसलिए इस समय कनाडा के साथ कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा है। चीन को संतुलित करने के लिए पश्चिमी देशों के लिए भारत महत्वपूर्ण है कनाडा नहीं।
मालूम हो कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि जून में कनाडा में रह रहे आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट संभावित रूप से शामिल थे। कनाडा पहले से ही अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से इस मामले पर बात कर रहा था। हालांकि कनाडा के लिए अब तक नतीजे निराशाजनक रहे हैं।
मामले पर ब्रिटेन ने सार्वजनिक रूप से भारत की आलोचना करने से इनकार कर दिया है और कहा है कि द्विपक्षीय व्यापार वार्ता योजना के अनुसार जारी रहेगा। ब्रिटेन कनाडा का समर्थन इसलिए नहीं कर रहा क्योंकि वह भारत को एक व्यापारिक भागीदार और सहयोगी के रूप में चाहता है। मुक्त व्यापार समझौता भारत और ब्रिटेन दोनों के लिए अहमियत रखता है।
वहीं अमेरिका ने भी संतुलित रुख रहा है। जहां एक ओर उसने मामले को चिंताजनक बताया है तो वहीं भारतीय अधिकारियों को जांच में सहयोग करने के लिए कहा है। जबकि भारत ने हत्या में शामिल होने के दावों को खारिज कर दिया है।
इससे पहले कनाडा ने पिछले हफ्ते नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन में भारत की निंदा करते हुए एक संयुक्त बयान पर जोर दिया था और अमेरिका और अन्य लोगों ने इसे अस्वीकार कर दिया था।
आपको बता दें कि दुनिया में कई देशों के चीन के साथ रिश्ते तनाव में हैं। ऐसे में भारत के साथ अधिकतर देश अच्छे रिश्ते चाहते हैं। कनाडा के लिए कोई भी देश इसलिए भी खुलकर सामने नहीं आ रहा क्योंकि मामले में कनाडा ने पर्याप्त सबूत भी पेश नहीं किए हैं।