ओबामा के कार्यकाल के बाद भी भारत-अमेरिका के सम्बंध मजबूत होते ही नज़र आ रहे हैं। गौरतलब है कि अमेरिका ने भारत को अहम रक्षा भागीदार मानते हुए निर्यात नियंत्रण कानूनों में कुछ ऐसे बदलाव किए हैं , जिससे भारत को काफी फायदा हो सकता है। ख़ास तौर पर भारत और डिफेंस सेक्टर में काम करने वाली कम्पनियों को। इस बदलाव से दोनों देशों में रक्षा तकनीकी और हथियारों का आयात-निर्यात काफी सहज हो जाएगा। मात्र जनसंहार हथियारों को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा।
इस बदलाव का मतलब यह भी है कि अब से इसकी सम्भावनाएं काफी हद तक कम हो गई हैं कि भारतीय कम्पनियों को सैन्य उपकरणों के इम्पोर्ट के लाइसैंस न मिले। एक तरीके से कानून में बदलाव करना तकनीकों के आयात की पूर्व स्वीकृती जैसा है।
भारत-अमेरिका बिजनैस कांउसिल (USIBC) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा कि वह भारत के अहम रक्षा भागीदार का दर्जा प्राप्त होने पर बेहद खुश हैं और उनका संगठन हमेशा से इस दर्जे के समर्थन में था। भारत का अहम रक्षा भागीदार होना इस बात का संकेत देता है कि भारत के पास अब अग्रवर्ती रक्षा तकनीक होंगी।
बता दें कि इस बदलाव में नया नियम रहेगा कि अब भारत में काम करने वाली भारतीय और अमेरिका कम्पनियां नागरिक और सैन्य निर्माण के लिए वैलिडेटिड एंड यूजर्स का दर्जा हासिल कर लेंगी , उन्हें हथियारों के आयत के लिए लाइसैंस की जरुरत नहीं होगी।