अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद देश में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। अफगानी नागरिक देश छोड़ कर भाग रहे हैं। हर इंसान तालिबान के खौफ से खुद को बचाना चाहता है। वहां पर कई भारतीय नागरिक भी फंसे हैं साथ ही कई अफगानी हिंदू और सिख भी वहां रहते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है।

केंद्र सरकार ने कहा कि, अफगानिस्तान के हिंदू और सिखों के लिए भारत का दरवाजा हमेशा के लिए खुला है। यदि वे युद्ध ग्रस्त इलाकों से निकलना चाहते हैं तो भारत स्वागत के लिए तैयार है। हम उन्हें शरण देंगे।

वहां के नागरिकों के साथ अब अफगानिस्तान में रह रहे हिंदू और सिख परिवारों को भी अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। बताया जा रहा है कि काबुल स्थित एक गुरुद्वारे में 300 से ज्यादा हिंदुओं और सिखों ने शरण ली है।

भारत ने साफ लहजे में कहा है कि, अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों को बचाने के लिए सरकार हर मुमकिन कोशिश करेगी। नागरिकों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। बता दें कि अफगानिस्तान में फंसे भारतीय रजदूत समेत अधिकारियों को वायुसेना के C-17 से भारत लाया जा रहा है।

अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के एक दिन बाद भारत के शीर्ष रक्षा अधिकारियों, विदेश नीति से जुड़े प्रतिष्ठानों और वरिष्ठ खुफिया अधिकारियों ने सोमवार को वहां तेजी से बिगड़ते हालात की समीक्षा की। इस समीक्षा बैठक से संबंधित जानकारों ने बताया कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां तेजी से बिगड़ते हालात के मद्देनजर सरकार की प्राथमिकता अफगानिस्तान में फंसे लगभग 200 भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाना है। इनमें भारतीय दूतावास के कर्मी और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं।

अफगानिस्तान की रजाधानी काबुल में फंसे 18 भारतीयों ने भारत सरकार से गुहार लगाई है। यह सभी लोग वहां की एक फैक्ट्री में काम करते हैं अधिकतर कर्मचारी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। इन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर कहा कि कंपनी मालिक ने हमारा पासपोर्ट रख लिया है। सरकार हमें यहां से जल्द से जल्द निकालने की कोशिश करे।

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ये जो कर्मचारी फंसे हुए हैं, उनमें से कुछ लोग एक महीने पहले ही आए हैं जबकि कई कुछ महीने पहले आए थे। कर्मचारी का कहना है कि कंपनी पासपोर्ट नहीं दे रही है और बाहर नहीं जाने दे रही है। कंपनी ने कहा है कि उनकी मर्ज़ी के बिना कोई नहीं जा पाएगा। जो भारतीय कर्मचारी फंसे हैं, वो काबुल की एक स्टील कंपनी में काम करते हैं।

तालिबान की वापसी के बाद पूरे देश में खौफ का माहौल है। हिंदू और सिखों ने तालिबान से बचने के लिए काबुल के गुरूद्वारे में शरण ली है इसमें करीब 320 लोग शामिल हैं।

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