Graveyard of Empires अफगानिस्तान में अब लोकतंत्र खत्म हो गया है। साम्राज्यों के कब्रिस्तान में गोलीतंत्र की सत्ता बन गई है। पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है। साल 1990 से देश में बंदूकतंत्र की सरकार बनाने का ख्वाब देखने वाले तालिबान का सपना सच हुआ। जब भारत और पाकिस्तान अपनी आजादी का जश्न मना रहे थे उस वक्त पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान अपनी आजादी खो रहा था। देश अब तालिबान का गुलाम बन गया है।

15 अगस्त के दिन तालिबान ने देश की राजधानी और सबसे बड़ी आबादी वाले शहर काबुल पर कब्जा कर लिया। तालिबान का खौफ देख कर अफगानी सेना ने हार मान ली और सफेद पोशाक में तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। वहीं राष्ट्रपति अशरफ गनी ने शांतिपूर्वक सत्ता को आतंकियों के हाथ में सौंप दिया और रातों रात गनी ने देश छोड़कर ताजिकिस्तान में अपना ठिकाना बना लिया। गनी के साथ उनके कई करीबी भी देश छोड़कर जा चुके हैं।

देश छोड़ने के बाद अशरफ गनी ने अफगानिस्तान के नाम एक खत लिखा उन्होंने कहा “ मैंने जो भी किया देश की जनता की सुरक्षा के लिए किया। अगर मैं देश छोड़कर नहीं भागता तो तालिबान काबुल पर हमला कर देता। खूनी खेल को रोकने के लिए मेरा देश छोड़कर चले जाना ही बेहतर था।”

अशरफ गनी के जाने के बाद वहां की जनता भी मौत के साए से दूर भाग रही है। 15 अगस्त से ही पूरे काबुल में सड़कों पर जाम लगा हुआ है। लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं। काबुल एयरपोर्ट पर लोगों की भारी भीड़ है। लोग जान बचाने के लिए देश छोड़ना चाहाते हैं। वीडियो में साफ दिख रहा है कि वहां की जनता में कितना डर बैठ गया है।

वहीं तालिबान ने लोगों के पलायन को रोकने के लिए काबुल एयरपोर्ट पर फायरिंग कर दी है। फायरिंग के चलते जनता में अफरा तफरी मच गई है लोग जान बचाने के लिए चीखते चिल्लाते हुए भाग रहे हैं। वीडियो में गोलियों की तड़तड़ाहट की आवाज साफ सुनाई दे रही है। बात दें कि यह फायरिंग काबलु के Hamid Karzai International Airport पर हुई है।

अशरफ गनी के हटने और सत्ता परिवर्तन के बाद तालिबान की तरफ से अब मौलाना अब्दुल गनी बरादर को राष्ट्रपति बनाया जा सकता है। बता दें कि अशरफ गनी देश छोड़कर चले गए हैं। इसके अलावा उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने भी अफगानिस्तान छोड़ दिया है। तालिबान अब अफगानिस्तान को ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ नाम देगा।

देश छोड़कर जाने वाली जनता को तालिबान ने हिदायत देते हुए कहा कि 20 साल वाला कानून यानी की शरिया कानून का पालन करना होगा। देश छोड़कर जाने वालों को मौत के घाट उतार दिया जाएगा। तालिबान ने कहा कि एक नई शुरुआत करें और भ्रष्टाचार, घोटाला, आलस से सावधान रहें।

सत्ता हस्तांतरण के फौरन बाद ही तालिबानी आतंकियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया। सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल हो रही हैं जिसमे आतंकी भवन के भीतर बैठकर सत्ता का लुत्फ उठा रहे हैं। साथ ही तस्वीरें भी खींच रहें हैं।

बता दें कि भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश महिलाओं के लिए आज आधुनिक बने हैं। लेकिन अफगानिस्तान 1960 में ही आधुनिक बन गया था। यहां की महिलाओं के पास आजादी थी। अपने मन से कपड़े पहनती थी। पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती थी। लेकिन यह अधिक समय तक नहीं चल सका 1990 से धीरे धीरे देश में आतंकी संगठन तालिबान का कहर बढ़ता गया और महिलाओं पर पाबंदियां होती गईं। साल 1996 के बाद सड़क पर पुरुष ही दिखने लगे क्योंकि महिलाओं को घर में कैद कर दिया गया।

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साल 2001 तक पूरे अफगानिस्तान में जंगल राज बन गया था। महिलाओं को सड़कों पर पीटा जाता था लेकिन अमेरिका ने इसे रोकने लिए 2001 में अपनी सेना को वहां भेजा। धीरे- धीरे सब कुछ सुधर रहा था। महिलाओं की जिंदगी पटरी पर लौट रही थी। वहां की जनता के जीवन रौशनी आरही थी पर विश्व की राजधानी अमेरिकी ने अप्रैल माह में जैसे ही अपनी सेना को वापस बुलाने का ऐलान किया उसके फौरन बाद ही अफगानिस्तान का आतंकी संगठन तालिबान ने वहां के 50 से अधिक जिलों पर कब्जा कर लिया। कब्जे के साथ ही इस्लामिक कानून को लागू कर दिया। सूखे फल और शीरमाल से दुनिया भर में मिठास भरने वाला अफगानिस्तान फिर 20 साल पीछे चला गया है।

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