अनचाहे विज्ञापन, मेल और मैसेज से हैं परेशान? ये है वजह… जानिए क्या होता है Dark Pattern

भारत समेत पूरी दुनिया में पिछले कुछ महीनों से खासकर कोरोना महामारी की शुरूआत के बाद से डार्क पैटर्न या फिर यूं कहे कि भ्रामक पैटर्न (Dark Pattern and Deceptive Pattern) के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है।

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Dark Pattern

भारत समेत पूरी दुनिया में पिछले कुछ महीनों से खासकर कोरोना महामारी की शुरूआत के बाद से डार्क पैटर्न या फिर यूं कहे कि भ्रामक पैटर्न (Dark Pattern and Deceptive Pattern) के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। इस माध्यम से इंटरनेट आधारित कंपनियां यूजर्स को कुछ शर्तों पर सहमत होने के लिए या किसी लिंक पर क्लिक करने के लिये बरगला (Tricking) रही हैं।

अगर एक बार आप इस तरह की मंजूरी दे देते हैं तो इसके बदले में आपके मेल या इनबॉक्स में ऐसे विज्ञापन या फिर प्रमोश्नल ईमेल या मैसेज आते है जिनको रोकना या हटाने के लिए अनुरोध करना कठिन होता है भेजे जा रहे हैं। यूजर्स ऐसे मेल या मैसेज को कभी प्राप्त नहीं करना चाहते।

पिछले दिनों अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमिशन (FTC) ने फोर्टनाइट गेम बनाने वाली कंपनी एपिक गेम्स पर बच्चों के गोपनीयता कानूनों का उल्लंघन करने और लाखों गेमर्स को अनजाने या फिर यूं कहें कि धोखे से इस गेम को बेचने के लिए डार्क पैटर्न का उपयोग करने के मामले में $520 मिलियन अमेरिकी डॉलर (4,150 करोड़ रुपए) का जुर्माना लगाया है।

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क्या है डार्क पैटर्न? Dark Pattern?

आसान भाषा में अगर डार्क पैटर्न को समझे तो अनैतिक UI/UX (यूजर इंटरफेस / यूजर एक्सपीरियंस) का एक इंटरैक्शन हैं, जो यूजर्स को बरगलाने या उनसे कुछ ऐसा करने के लिये डिजाइन किये गए हैं, जो वे नहीं करना चाहते। इसके बदले में वे इन डिजाइनों को बनाने वाली कंपनी या फिर प्लेटफॉर्म को लाभान्वित करते हैं। डार्क पैटर्न का उपयोग करके डिजिटल प्लेटफॉर्म यूजर्स द्वारा उपयोग की जा रही सेवाओं के साथ-साथ सर्च अनुभव (Browsing Experience) पर उनके नियंत्रण के बारे में भी पूरी जानकारी को हथिया लेते हैं।

Dark Pattern

क्या होते हैं डार्क पैटर्न के उदाहरण?

डार्क पैटर्न के कुछ उदाहरण में ऑनलाइन डील्स के लिए लंबा काउंटडाउन, छोटे-छोटे अकसरों में में लिखी गई शर्तें, कैंसिलेशन बटन का न दिखना या उस पर क्लिक करने में कठिनाई का होना, अखबारों एवं डिजिटल माध्यमों के जरिये विज्ञापनों को समाचार रिपोर्ट के रुप में या फिर चर्चित व्यक्ति के समर्थन के रूप में प्रदर्शित करना, वीडियो का अपने आप से चलना, लेन-देन पूरा करने के लिए यूजर्स को खाता बनाने के लिये मजबूर करना, फ्री ट्रायल के खत्म होने के बाद बिना किसी सूचना के क्रेडिट या डेबिट कार्ड पर चार्ज लगाना और यूजर्स को जानने योग्य महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाने के लिये या फिर धूमिल रंगों का उपयोग करना आदि शामिल है।

बड़ी कंपनियों द्वारा किया जाता है सबसे ज्यादा उपयोग

भारत समेत दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में काम करने वाली सोशल मीडिया कंपनियां या फिर यूं कहे कि बड़ी तकनीकी कंपनियां (Big Tech) जैसे कि एप्पल, गूगल, फेसबुक अब मेटा, अमेजन, स्काइप, लिंक्डइन (LinkedIn) और माइक्रोसॉफ्ट अपने लाभ के लिये यूजर्स के अनुभव को डाउनग्रेड करने के लिए डार्क या फिर भ्रामक पैटर्न का उपयोग करते हैं।

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गूगल, फेसबुक के अलावा अमेजन के खिलाफ यूरोप समेत दुनिया के कई हिस्सों में डेटा से लेकर सब्सक्रिप्शन को लेकर हो रही हेराफेरी के मामलों में जांच एवं आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। इस विकल्प को रोकने के लिए कई चरणों की प्रकिया को फॉलो करना पड़ता है जो एक कठिन प्रक्रिया है जिसके लिये यूजर्स को हरेक प्लेटफॉर्म द्वारा बनाई गई उनके नियंत्रणों को पढ़ने के जरूरत होती है।

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कई बड़े उदाहरण?

2022 में यूरोपीय संघ के कड़े रूख के बाद अमेजन ने यूरोपीय देशों में ऑनलाइन ग्राहकों के लिये अपनी कैंसिलेशन प्रक्रिया को आसान बनाया।

दुनियाभर में जॉब सर्च करने के लिए जाने वाले माइक्रोसॉफ्ट के एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन (LinkedIn) को भी यूजर्स को अक्सर प्रभावशाली लोगों की मार्केटिंग करने के उद्देश्य से अवांछित एवं प्रायोजित संदेश प्राप्त होते रहते हैं।

मेटा के इंस्टाग्राम प्लेटफॉर्म पर डार्क पैटर्न का एक अन्य रूप दिखता है, जिसको हम वीडियो विज्ञापन के रूप में देखते हैं। इंस्टाग्राम के ये विज्ञापन रील्स और स्टोरी के बीच मौजूद होते हैं जिन्हें देखने का विकल्प यूजर्स चुनते हैं और स्पांसर्ड का लेबल दिखाई देने से पहले इन विज्ञापन का वीडियो कुछ सेकंड तक चल चुका होता है। गूगल का वीडियो प्लेटफॉर्म यूट्यूब यूजर्स को यूट्यूब प्रीमियम खरीदने के लिये वीडियोज को थंबनेल के साथ अंतिम के कुछ सेकंड के वीडियो के साथ पॉप-अप किया गया है।

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नुकसान आखिर में यूजर्स को

आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले डार्क पैटर्न इंटरनेट यूजर्स के अनुभव को खतरे में डालते के साथ-साथ उन्हें बिग टेक फर्मों द्वारा वित्तीय एवं डेटा के उपयोग को और अधिक संवेदनशील बनाते हैं। डार्क पैटर्न यूजर्स को न केवल भ्रमित करते हैं बल्कि ऑनलाइन बाधाओं से भी दो-चार होने को मजबूर करते हैं। इसके अलावा आसानी से होने वाले कार्यों को समय लेने वाला बना देते हैं जिसके चलते यूजर्स को अवांछित सेवाओं या फिर उत्पादों के लिये साइन-अप करवाने के अलावा उन्हें अधिक पैसे देने या उनकी इच्छा से अधिक व्यक्तिगत जानकारी देने के लिये मजबूर करते हैं।

अमेरिका के संघीय व्यापार आयोग (FTC) के अनुसार, डार्क और भ्रामक पैटर्न केवल लैपटॉप एवं स्मार्टफोन तक ही सीमित नहीं हैं। FTC की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि जैसे-जैसे संवर्द्धित वास्तविकता (Augmented Reality – AR) और आभासी वास्तविकता (Virtual Reality – VR) प्लेटफॉर्म के अलावा उपकरणों का उपयोग डार्क पैटर्न में बढ़ता ही जाता है। इसके दखल के बढ़ने के साथ-साथ यूजर्स के इन नए चैनलों का भी पालन करने की भी संभावना बढ़ती चली जाती है।

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