मणिपुर में रातों-रात ऐसा क्या हो गया कि भेजनी पड़ गई आर्मी?

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Manipur Violence
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Manipur Violence: मणिपुर के कई जिलों में जनजातीय समूहों द्वारा रैलियां निकालने के बाद कानून-व्यवस्था बिगड़ गई है। राज्य सरकार ने स्थिति से निबटने के लिए आनन-फानन में पांच दिनों के लिए मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया है। बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध के साथ-साथ राज्य के कई जिलों में नाइट कर्फ्यू भी लगाया गया है। सेना और असम राइफल्स को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तैनात किया गया है। सेना का फ्लैग मार्च जारी है। राज्य में बिगड़े हालात के बाद 4 हजार लोगों को सेना के शिविर और सरकारी परिसर में शिफ्ट किया गया है। लेकिन सवाल ये है कि आखिर मणिपुर में ये आग किसने लगाई? आखिर क्यों जल रहा है मणिपुर? ऐसा क्या हो गया कि लोग एक दूसरे का जान लेने पर अमादा हो गए हैं? आइये यहां विस्तार से पूरा तिया पाचा बताते हैं:

राज्य में दो मुद्दों ने इस स्थिति को जन्म दिया है

राज्य में दो मुद्दों ने इस स्थिति को जन्म दिया है। एक है मैतेई समुदाय से जुड़ा हुआ तो दूसरा है जंगल की रक्षा के लिए सीएम बीरेन सिंह के कदम। बता दें कि मैतेई समुदाय मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में रहता है। समुदाय के लोग काफी सालों से खुद को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, इस समुदाय में ज्यादातर हिन्दू हैं, जो आदिवासी परंपरा को मानते हैं। दिलचस्प बात यह है कि राज्य का सबसे प्रभावशाली समुदाय होने के बाद भी यह समाज अनुसूचित जनजाति वर्ग (आदिवासी) में आरक्षण की मांग कर रहा है। राज्य की दूसरी जनजातियां इसका कड़ा विरोध कर रही हैं। हालांकि, विधानसभा चुनवा के दौरान यह मुद्दा खूब उठा था।

हाल में जब मैतेई समुदाय ने एसटी में शामिल करने की मांग जोर-शोर से उठाया तो एटीएसयू ने इस विरोध किया। ATSU ने समुदाय को एसटी में शामिल करने की मांग का विरोध करते हुए राज्यभर में रैली का आयोजन किया। इसी रैली के दौरान राज्य के करीब 8 जिलों में हिंसा की आग भड़क गई। बुधवार देर रात, हालात इतने बिगड़ गए कि मैरी कॉम ने देर रात आगजनी की तस्वीरें ट्विटर पर ट्वीट करके पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मदद मांगी।

STDCM क्या मांग कर रहा है?

मैतेइ राज्य की आबादी का 53 प्रतिशत हिस्सा हैं। इस समुदाय का प्रवास मुल रूप से घाटी में है। समुदाय का कहना है, “म्यांमार और बांग्लादेशियों द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध आप्रवासन” के मद्देनजर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। एसटी श्रेणी में मैतेई को शामिल करने के लिए अनुसूचित जनजाति मांग समिति मणिपुर आंदोलन की अगुवाई कर रही है। संगठन ने कहा कि केवल नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों और कर राहत में आरक्षण की मांग नहीं की जा रही है बल्कि “हमारे पूर्वजों की भूमि, संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए और अधिक मांग की जा रही है।”

ATSU रैली का असर

ATSUM के 10 जिलों में आयोजित आदिवासी एकजुटता मार्च में हजारों आदिवासियों ने भाग लिया। यह एसटी श्रेणी में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को शामिल करने का विरोध करने के लिए आयोजित किया गया था। रैलियों में भाग लेने के लिए लोग बसों और खुले ट्रकों में आए। लोग जुलूस में शामिल हुए, तख्तियां लहराईं और नारे लगाए। सेनापति जिला छात्र संघ के प्रतिनिधियों ने भी उपायुक्त से मुलाकात की। इसी दौरान चुराचंदपुर जिले में हिंसा भड़क उठी।

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केंद्रीय गृह मंत्री ने क्या कार्रवाई की?

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से बात की और राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति का जायजा लिया। केंद्र मणिपुर में स्थिति की निगरानी कर रहा है और हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में तैनाती के लिए रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की टीमों को भेजा है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि आरएएफ की पांच कंपनियों को इंफाल ले जाया गया है जबकि 15 अन्य जनरल ड्यूटी कंपनियों को तैयार रहने को कहा गया है।

क्या कह रहा है विपक्ष?

कांग्रेस ने मणिपुर में हिंसा के लिए भाजपा को जिम्मेदार बताया है। कांग्रसे का कहना है कि भाजपा दो समुदायों के बीच हिंसक टकराव के लिए जिम्मेदार है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संयम और शांति की अपील की। खड़गे ने ट्विटर पर कहा, “बीजेपी ने समुदायों के बीच दरार पैदा कर दी है और एक सुंदर राज्य की शांति को नष्ट कर दिया है।” भाजपा की नफरत, बंटवारे की राजनीति और सत्ता का लालच इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार है। हम सभी पक्षों के लोगों से संयम बरतने और शांति को एक मौका देने की अपील करते हैं।

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