“भाजपा नहीं करती राष्‍ट्रीय प्रतीकों का सम्मान”, सुशील मोदी के बयान पर राजद नेता Shivanand Tiwari ने साधा निशाना

शिवानंद तिवारी ने लिखा, "नागपुर की इनकी पीठ ने तो लंबे अरसे तक हमारे तिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज माना ही नहीं। आज भी इनकी मान्यता के मुताबिक़ तिरंगा से ज़्यादा पवित्र भगवा ध्वज ही है। सुशील जी को मालूम होना चाहिए कि हमारा राष्ट्रीय प्रतीक संविधान की मूल प्रति में भी अंकित है।

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Shivanand Tiwari
Shivanand Tiwari

Shivanand Tiwari: राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी (RJD Leader Shivanand Tiwari) ने गुरुवार को एक फेसबुक पोस्ट शेयर किया है। इस पोस्ट में तिवारी ने सुशील मोदी पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा, “जिस पाठशाला में सुशील मोदी ने राजनीति का ककहरा सीखा वहां कभी राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान नहीं किया जाता है। राष्ट्र ध्वज हो या अन्य राष्ट्र प्रतीक, भाजपा उसे मूल स्वरूप में स्वीकार नहीं करती है।

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Shivanand Tiwari on Sushil Kumar Modi

Shivanand Tiwari ने भाजपा पर कसा तंज

बता दें कि तिवारी, पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) के उस आरोप पर टिप्पणी कर रहे थे, जिसमें कहा गया है कि विपक्ष केंद्र सरकार के हर काम में खोट निकाल लेता है। राजद नेता ने सुशील मोदी को आड़े हाथ लेते हुए लिखा, “सारनाथ में स्थापित सिंहों की गरिमायुक्त मूर्ति की जगह नये संसद भवन पर प्रधानमंत्री द्वारा स्थापित आक्रमक और हिंसक मूर्ति ज़्यादा रास आ रही है और उसका विरोध उनको बेवजह का शोर लग रहा है।”

Shivanand Tiwari
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नंदलाल बोस के बनाये स्केच के आधार पर हुआ राष्ट्रीय प्रतीकों का निर्माण: Shivanand Tiwari

शिवानंद तिवारी ने लिखा, “नागपुर की इनकी पीठ ने तो लंबे अरसे तक हमारे तिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज माना ही नहीं। आज भी इनकी मान्यता के मुताबिक़ तिरंगा से ज़्यादा पवित्र भगवा ध्वज ही है। सुशील जी को मालूम होना चाहिए कि हमारा राष्ट्रीय प्रतीक संविधान की मूल प्रति में भी अंकित है।”

सारसनाथ के अशोक स्तंभ को ही ध्यान में रखकर राष्ट्र कवि रविंद्रनाथ टैगोर के विश्व भारती के प्रसिद्ध और भारतीय परंपरा के विशेषज्ञ और आज़ादी के संघर्ष के साथ जुड़े कलाकार नंदलाल बोस के बनाये स्केच के आधार पर ही हमारे राष्ट्रीय प्रतीकों का निर्माण हुआ है। मूल संविधान के लेखन की शुरुआत भी इसी प्रतीक से हुई है। चुकि सुशील जी आज़ादी के संघर्ष की परंपरा वाली जमात के साथ नहीं रहे हैं। इसलिए उनकी दृष्टि में राष्ट्रीय प्रतीकों के साथ किसी तरह के छेड़छाड़ का विरोध बेवजह का शोर लग रहा है।”

उन्होंने लिखा, “सुशील जी लोकसभा के भी सदस्य रह चुके हैं। आज राज्यसभा के सदस्य हैं। अतः उनसे इतनी जानकारी की अपेक्षा करना ज़्यादती नहीं मानी जाएगी कि लोकसभा का अध्यक्ष ही संसद का अभिरक्षक होता है। आयोजन लोकसभा के नवनिर्मित भवन के समक्ष राष्ट्रीय प्रतीक के अनावरण का था। मान्य परंपरा के अनुसार तो मुख्य पुरोहित की भूमिका तो लोकसभा के अभिरक्षक यानि लोकसभा के अध्यक्ष को निभानी चाहिए थी. लेकिन देश और दुनिया ने क्या दृश्य देखा!”

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