विधायक तोड़ न ले BJP… CM Hemant Soren ने लिया रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का सहारा

81 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 49 विधायक हैं। सबसे बड़ी पार्टी के रूप में झामुमो के 30 विधायक, कांग्रेस के 18 विधायक और राजद के एक विधायक हैं। सदन में भाजपा के 26 विधायक हैं।

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विधायक तोड़ न ले BJP… CM Hemant Soren ने लिया रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का सहारा
विधायक तोड़ न ले BJP… CM Hemant Soren ने लिया रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का सहारा

CM Hemant Soren: झारखंड की राजधानी रांची में मुख्यमंत्री आवास से यूपीए विधायकों को कथित तौर पर राज्य से बाहर ले जाया गया है। इससे पहले सभी विधायकों को तीन बसों में भरकर मुख्यमंत्री आवास ले जाया गया था। मिली जानकारी के मुताबिक, विधायकों के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी सामने आ गए हैं। मुख्यमंत्री का पूरा सुरक्षा काफिला भी बसों के साथ निकल आया है। एक बस की पहली सीट पर सीएम हेमंत सोरेन, मंत्री बन्ना गुप्ता, मंत्री जोबा मांझी, विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह सवार थे। वहीं, विधायकों के बस में बाहर निकलने पर सवाल उठ रहे हैं कि उन्हें कहां भेजा गया है?

मालूम हो कि राज्यपाल रमेश बैस द्वारा भारत निर्वाचन आयोग की सलाह पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता पर निर्णय लेने से पहले विधायकों को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर भेजा जा रहा है। हालांकि खबर लिखे जाने तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।

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CM Hemant Soren के साथ महागठबंधन के विधायक

विधायक टूटने के डर से CM Hemant Soren ने लिया फैसला!

बता दें कि भाजपा के अवैध शिकार को रोकने के लिए, जरूरत पड़ने पर सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को पश्चिम बंगाल या छत्तीसगढ़ जैसे ‘मित्र राज्यों’ में से एक में स्थानांतरित करने की तैयारी की गई थी। हालांकि हमारे सूत्र बताते हैं कि विधायकों को छत्तीसगढ़ नहीं बल्कि खूंटी के लतरातू डैम स्थित रिजॉर्ट में ले जाया गया है।

गौरतलब है कि 81 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 49 विधायक हैं। सबसे बड़ी पार्टी के रूप में झामुमो के 30 विधायक, कांग्रेस के 18 विधायक और राजद के एक विधायक हैं। सदन में भाजपा के 26 विधायक हैं।

बताते चले कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक के रूप में “अयोग्य” होने की धमकी का सामना करते हुए, रणनीति बनाने के लिए शुक्रवार को सीएम के आवास पर यूपीए की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। अब तेजी से बदलते राजनीतिक परिदृश्य में, संख्या को बरकरार रखने के लिए ‘रिसॉर्ट पॉलिटिक्स’ चलन में आ गयी है।

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