Onam: लगभग दो साल के इंतजार के बाद आखिरकार ओणम उत्सव के दौरान केरल के बैकवाटर में नावें एक दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने के लिए निकली हैं। सांप के आकार की ये नावें जिन्हें ‘चुंदन वल्लम’ के नाम से भी जाना जाता है, 100 फीट तक लंबी होती हैं और एक आकर्षक लय में रोइंग करके आगे बढ़ती हैं। लगभग 400 साल पहले शुरू हुई डोंगी रेसिंग प्रतियोगिता को वल्लमकली के नाम से जाना जाता है।
यहां देखें खूबसूरत VIDEO
बता दें कि यह भारत में मानसून के आने के बाद होता है। इस आयोजन में बड़ी संख्या में देश-विदेश से लोग शामिल होते हैं और धूमधाम से जश्न मनाते हैं। अब इन्हीं नाव को पानी में उतारने का एक खूबसूरत वीडियो सामने आया है। वीडियो में देखा जा सकता है कि सैकड़ों लोगों की भीड़ नदी किनारे इकट्ठा है। लोग जोर लगाकर नदी में नौके को उतार रहे हैं। थोड़ी देर बाद ही नाव नदी में तैरने लगती है।
ये है Onam के पीछे की कहानी
नाव की दौड़ के पीछे की एक दिलचस्प कहानी है। पौराणिक कथा के अनुसार, नंबूदिरी परिवार से ताल्लुक रखने वाले कट्टूर मन का मुखिया प्रतिदिन कृष्ण भगवान की पूजा करता था। एक दिन वह पूजा की रस्म को पूरा करने के लिए एक गरीब आदमी के आने और उस भोजन को स्वीकार करने की प्रतीक्षा कर रहा था। उसने बहुत देर तक इंतजार किया और फिर एक दिन जब उसने देखा कि कोई गरीब आदमी नहीं आया, तो वह भगवान कृष्ण से प्रार्थना करने लगा। फिर उसने अपनी आंखें खोलीं और अपने सामने एक लड़के को खड़ा देखकर हैरान रह गया। उसने लड़के की देखभाल की, उसे नहलाया, उसे नए कपड़े दिए और अंत में, उसे स्वादिष्ट भोजन और मीठे रस भी पान करवाया। खाना खत्म करने के बाद लड़का अचानक गायब हो गया। ब्राह्मण बहुत हैरान हुआ क्योंकि उसे इसकी उम्मीद नहीं थी।
वह लड़के की तलाश में निकल पड़ा। उसने लड़के को अरनमुला मंदिर में देखा, लेकिन वह लड़का फिर से गायब हो गया। इसके बाद ब्राह्मण खुद को समझाने लगा कि यह लड़का सिर्फ कोई लड़का नहीं है, बल्कि खुद भगवान हैं। इस दिन को खास तरह से मनाने के लिए, उन्होंने ओणम के त्योहार के दौरान इस मंदिर में भोजन लाना शुरू किया। वह चाहते थे कि भोजन को समुद्री लुटेरों से बचाया जाए। यही कारण है कि जब वह भोजन के साथ यात्रा करता था तो उसके साथ सांप की नावें चलती थीं। जैसे-जैसे यह परंपरा लोकप्रिय होने लगी, सर्प नौकाओं की संख्या में वृद्धि होने लगी। इसने अद्भुत कार्निवल का नेतृत्व किया जिसे स्नेक बोट रेस का नाम दिया गया। हालांकि, इससे जुड़ी और भी कई कहानियां हैं।
यह भी पढ़ें: