Mahabharat Katha: कौन था जयद्रथ जिसका वध करने के लिए अर्जुन को करना पड़ा था छल! जानें दिलचस्प कथा..

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Mahabharat Katha: महाभारत में कई ऐसे किरदार हैं जो न सिर्फ रहस्यमयी हैं बल्कि बेहद रोचक भी हैं। इन्हीं में से एक है जयद्रथ। जयद्रथ महाभारत का वो पात्र जिसके वध के लिए जहां एक ओर अर्जुन बेहद आतुर थे तो वहीं श्री कृष्ण ने भी अर्जुन का साथ देते हुए छल से उसके वध की योजना बनाई थी।

Mahabharat Katha: कौन था जयद्रथ?

जयद्रथ सिंधु देश का राजा था और उसका विवाह दुर्योधन की बहन दुशाला से हुआ था। इस तरह जयद्रथ रिश्‍ते में कौरव और पांडवों का जीजा था। पांडवों से जयद्रथ की दुश्‍मनी पांडवों के वनवास के दौरान हुई थी।

Mahabharat Katha: कैसे हुई दुश्मनी?

महाभारत कथा के अनुसार जब पांडव चौसर के खेल में दुर्योधन से हार गए थे तब उन्हें 12 वर्ष के वनवास और 1 साल का अज्ञातवास भुगतना पड़ा था। इस अवधि में पांडव द्रौपदी और माता कुंती के साथ वन-वन भटक रहे थे। एक दिन जयद्रथ की नजर द्रौपदी पर पड़ी और उसने द्रौपदी का हरण कर लिया। इसके बाद पांडवों ने उससे युद्ध किया और उसे युद्ध में पराजित कर दिया।

इतना ही नहीं भीम तो बेहद नाराज थे और जयद्रथ का वध करने पर उतारू थे तब अर्जुन ने भीम को याद दिलाया कि जयद्रथ दुशाला का पति है और बहन के पति का वध नहीं किया जा सकता है। तब भीम ने गुस्से में जयद्रथ का मुंडन कर उसके सिर पर 5 चोटी छोड़ दीं थी । इसी घटना से पांडवों और जयद्रथ के बीच दुश्‍मनी पैदा हो गई थी। बस इस घटना के बाद से जयद्रथ पांडवों का दुश्मन हो गया और क्रोध की अग्नि में बार-बार उनसे प्रतिशोध लेने की योजना बनाने लगा जिसका मौका उसे महाभारत युद्ध के दौरान मिला।

Mahabharat Katha: अर्जुन की प्रतिज्ञा?

जब महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन पुत्र अभिमन्यु ने आचार्य द्रोण के बनाए हुए चक्रव्यूह में प्रवेश किया तब पांडव भी उसके पीछे-पीछे प्रवेश करने के लिए दौड़े। ऐसा इसलिए क्योंकि अभिमन्यु को चक्रव्यूह में प्रवेश करना तो आता था लेकिन उसे भेदना नहीं। ऐसे में जब अर्जुन ने अपने पुत्र के साथ चक्रव्यूह में प्रवेश करने का प्रयास किया तब जयद्रथ ने अर्जुन का रास्ता रोक दिया था। इसी बीच अन्‍य कौरवों ने अभिमन्‍यु का वध किया था। अर्जुन ने जयद्रथ को ही अभिमन्‍यु के वध का कारण माना और उसका वध करने की प्रतिज्ञा ली।

Mahabharat Katha: कौन सा वरदान था?

जयद्रथ को यह वरदान प्राप्त था कि जो भी कोई उसको मारेगा और उसका शीश धढ़ से अलग करेगा उसकी भी मृत्यु हो जाएगी। जैसे ही जयद्रथ का शीश जमीन पर गिरेगा उसका सिर काटने वाले के सिर में भी विस्फोट हो जाएगा।

Mahabharat Katha: श्रीकृष्‍ण ने बताया रास्‍ता

इस वरदान को ध्यान में रखते हुए तब श्रीकृष्‍ण ने अर्जुन को सलाह दी कि जयद्रथ का शीश काटकर उसके पिता की गोद में फेंकने को कहा। अर्जुन ने भी ऐसा ही किया। इस तरह जयद्रथ का वध भी हो गया और अर्जुन की प्रतिज्ञा भी पूर्ण हुई।

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