जानें कब बंद होंगे Kedarnath Dham के कपाट, इस दिन तक कर सकते हैं दर्शन

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इस दिन बंद होंगे Kedarnath Dham के कपाट, जानें कब तक कर सकते हैं दर्शन
इस दिन बंद होंगे Kedarnath Dham के कपाट, जानें कब तक कर सकते हैं दर्शन

Kedarnath Dham के दर्शन करने वालों की भीड़ अभी भी कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। इस बीच शीतकाल के लिए केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने की तारीख तय कर दी गई है। दरअसल, इस साल केदारनाथ धाम के कपाट 27 अक्टूबर को बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद करने की तारीख शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में पंचाग गणना के अनुसार की जाती है।

Kedarnath Dham News
Kedarnath Dham

आपको बता दें, भैया दूज के मौके पर प्रात: आठ बजे Kedarnath Dham के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होगी और 29 अक्टूबर को शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी।

Kedarnath Dham की पौराणिक कथा

Kedarnath Dham में भगवान शिव के पृष्ठ भाग की पूजा की जाती है। स्कंद पुराण के केदारखंड में वर्णन किया गया है कि पांडव गोत्र हत्या के पश्चाताप के लिए भगवान शिव के दर्शन करने के लिए केदारनाथ धाम आए थे। लेकिन भगवान पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे। पीछा करते हुए जब वे केदारनाथ पहुंच गए। उन्हें देखने के बाद भगवान शिव ने भैंस का रूप धारण कर लिया और अदृश्य होने लगे थे। तभी भीम ने उन्हें देख लिया और उनके पृष्ठ हिस्से को पकड़ लिया। इसके बाद सभी पांडव गोत्र हत्या से मुक्त हो गए। पांडवों ने इस स्थान पर भगवान शिव का विशाल मंदिर बनवाया।

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Madhyamaheshwar Temple

द्वितीय केदार मदमहेश्वर मंदिर के लिए भी तारीख तय

द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में पंचाग गणना के अनुसार 18 नवंबर को बंद कर दिए जाएंगे। इसे प्रात: आठ बजे वृश्चिक लगन में शीतकाल के लिए बंद किया जाएगा। भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होगी और प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौण्डार गांव पहुंचेगी। इसके बाद 21 नवम्बर को शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी।

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Tungnath Temple

7 नवंबर को बंद होंगे तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के कपाट

तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट की बंद होने की तिथि विजयदशमी यानी आज तय कर दी गई है। इसको 7 नवंबर को प्रात: आठ बजे बंद किया जाएगा। इसके बाद भगवान की चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना हो जाएगी। प्रथम रात्रि प्रवास के लिए यह पहले चोपता पहुंचेगी और 9 नवंबर को शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी।

भगवान शंकर के पृष्ठ भाग की पूजा केदारनाथ धाम में, भुजाओं की पूजा तुंगनाथ में और मध्य भाग की पूजा-अर्चना मदमहेश्वर धाम में की जाती है।

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