Raavan: बुराई पर अच्छाई का प्रतीक यानी दशहरा बुधवार को पूरी धूमधाम से मनाया जा रहा है।जगह-जगह रावण के पुतलों का दहन किया जाएगा।कोरोना काल के बाद इस वर्ष दशहरा पूरे जोरशोर से मनाया जाएगा।दिल्ली-एनसीआर में रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले बनकर तैयार हैं। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर सीता माता को वापस लाए थे।ये महज पर्व ही नहीं बल्कि बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।जहां पूरे देश में इस पर्व की धूम है, लेकिन भारत में कुछ ऐसी जगहे हैं जहां पर लोग रावण दहन नहीं करते हैं बल्कि उसकी पूजा करते हैं।
उत्तर प्रदेश के एक गांव में रावण का मंदिर है और यहां दशानन के पुतले का दहन नहीं किया जाता है।कई लोगों का ऐसा मानना है कि उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के बिसरख गांव में रावण का जन्म हुआ था। यह गांव देश की राजधान दिल्ली से 40 किलोमीटर दूर पर स्थित है। यहां के लोग मानते हैं कि रावण उनका पूर्वज था।
Raavan: बिसरख में नहीं होती रामलीला
Raavan: दशहरे के दिन जब देश के अधिकतर इलाकों में रावण का दहन किया जाता है। लेकिन बिसरख गांव के लोग इस दिन त्योहार नहीं मनाते हैं।इसके साथ ही रावण दहन भी नहीं करते हैं।रावण के मंदिर को लेकर बिसरख गांव की हमेशा चर्चा होती रहती है।
रावण के मंदिर के लिए यह गांव प्रसिद्ध है। पुराणों में भी बिसरख गांव का जिक्र किया गया है। रावण के गांव बिसरख में आज भी रामलीला का मंचन नहीं होता है।जानकारी के अनुसार मशहूर तांत्रिक चंद्रास्वामी ने शिवलिंग की गहराई जानने के लिए यहां खुदाई कराई थी, लेकिन उसका कोई छोर नहीं मिला।
चंद्रास्वामी को खुदाई के दौरान एक 24 मुखी शंख मिला था। जिससे वे अपने साथ ले गए थे। चंद्रास्वामी ने कई बार यहां आकर पूजा की थी। इनके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भी शिव मंदिर में आकर पूजा अर्चना किया करते थे। मान्यता है कि जो भी कोई भी शिवमंदिर में पूजा अर्चना करता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है।
Raavan:विश्रवा ऋषि के घर जन्मा था रावण
Raavan: ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में विश्रवा ऋषि के घर रावण का जन्म हुआ था। विश्रवा ऋषि ने बिसरख गांव में एक शिवलिंग की स्थापना की थी। यहां अष्टभुजी शिवलिंग है। बताया जाता है कि बिसरख गांव में शिव की एकमात्र अष्टभुजी शिवलिंग है।
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