अंधविश्‍वास और आडंबर की जगह सच और नेकी पर दिया जोर, कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर जानें Guru Nanak Dev जी से जुड़े किस्‍से

Guru Nanak: गुरु नानक देव जी सिख धर्म के प्रथम गुरु थे, इसलिए इस दिन को गुरु पूरब के रूप में भी मनाया जाता है।गुरु नानक देव जी के दिए उपदेश आज प्रासंगिक हैं और लोग इनका अनुसरण करते हैं।

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Guru Nanak :

Guru Nanak: गुरु नानक देव जी के 553वें प्रकाशोत्‍सव के मौके पर आज उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं।सिख धर्म के संस्‍थापक और पहले गुरु,गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1469 ईस्वी में लाहौर से 64 किलोमीटर दूर तलवंडी नामक जिले में हुआ था।वर्तमान में यह जगह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में ननकाना साहिब में मौजूद है। गुरु नानक देव जी सिख धर्म के प्रथम गुरु थे, इसलिए इस दिन को गुरु पूरब के रूप में भी मनाया जाता है।गुरु नानक देव जी के दिए उपदेश आज प्रासंगिक हैं और लोग इनका अनुसरण करते हैं।आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े ऐसे की कुछ दिलचस्‍प किस्‍से।

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Guru Nanak: सभी धर्मों का व्यापक रूप से अध्ययन किया

Guru Nanak: गुरु नानक देव जी का जन्म मध्‍यकालीन भारत में ऐसे समय में हुआ था। जब लोग अंधविश्वास और आडंबरों को ज्यादा मानते थे। बचपन से ही गुरु नानक जी का मन बचपन आध्यात्मिक चीजों की तरफ झुका हुआ था।हिन्दू परिवार में जन्मे गुरु नानक ने सभी धर्मों का व्यापक रूप से अध्ययन किया जिसकी वजह से वो बचपन से ही आध्यात्मिक और ज्ञानी हो गए थे।

जानकारी के अनुसार जब गुरु नानक देव जी मात्र 11 साल के थे तो उन्हें जनेऊ पहनने को कहा गया। उस समय इस उम्र के सारे हिन्दू लड़के पवित्र जनेऊ पहनना शुरू कर देते थे,लेकिन उन्‍होंने इसे पहनने से मना कर दिया।उनका कहना था कि लोगों की इस तरह की परंपराओं को मानने की बजाय अपने ज्ञान और गुणों को बढ़ाना चाहिए।

Guru Nanak: आध्यात्मिक यात्राएं भी कीं

गुरु नानक जी ने करीब 30 सालों तक भारत, तिब्बत और अरब समेत कई जगहों पर आध्यात्मिक यात्राएं भी कीं। इस दौरान उन्होंने सारे धर्मों के बारे में बहुत गहन अध्ययन किया और गलत बातों का विरोध किया।उन्‍होंने लोगों को जागरुक करना भी शुरू किया। नानक ने अपने विद्रोही विचारों से साधुओं और मौलवियों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। उनका कहना था कि कोई भी रस्म-रिवाज़ निभाने के लिए पुजारी या मौलवी की जरूरत नहीं है।ईश्वर एक है और हर इंसान ईश्वर तक स्वंय पहुंच सकता है।

Guru Nanak: कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई

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गुरु नानक अंधविश्वास और दिखावे के कट्टर विरोधी थे और धार्मिक कुरीतियों के खिलाफ हमेशा आवाज उठाते थे। नानक लोगों के अंतर्मन में बदलाव लाना चाहते थे। उन्‍होंने अपना जीवन लोगों यह समझाने में व्‍यतीत किया कि लोभ, लालच बुरी बलाएं हैं।लोगों को प्रेम, एकता, समानता और भाई-चारा का संदेश देते थे।

Guru Nanak: जीवन के अंतिम दिन पंजाब के करतारपुर में बिताए

गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम दिन पंजाब के करतारपुर में लोगों को शिक्षा देते हुए गुजारे। उनका उपदेश सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे।उनकी शिक्षाओं से प्रेरणा लेकर अपना जीवन मधुर बनाते थे।गुरु नानक जी को विश्व भर में सांप्रदायिक एकता, सच्चाई, शांति, सदभाव के ज्ञान को बांटने के लिए याद किया जाता है।

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