Baisakhi 2023: बैसाखी पर्व का क्‍या है सिखों से संबंध, क्‍यों कहते हैं इसे मेष संक्रांति जानिए यहां ?

Baisakhi 2023: बंगाली कैलेंडर का पहला दिन माना जाता है।बंगाल में इस दिन उत्‍सव मनाया जाता है, जिसे बेहद शुभ माना जाता है।

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Baisakhi 2023 top news
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Baisakhi 2023: फसल कटने का मौका, ढोल की थाप और भांगड़े की मस्‍ती जी हां एक ऐसा ही उत्‍सव है बैसाखी।बैसाखी 2023 का पर्व इस वर्ष 14 अप्रैल 23 को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। अमूमन इसे सिखों के नववर्ष के तौर पर भी जाना जाता है।इस पर्व की धूम पंजाब और हरियाणा में खूब रहती है। खासतौर पर किसान इसी दिन अपनी फसलों की कटाई कर शाम के समय आग जलाकर उसके चारों तरफ एकत्र होते हैं, यही वजह है कि इस पर्व को कृषि पर्व या बैसाखी पर्व के रूप में जाना जाता है। आमतौर पर बैसाखी के दिन से ही देश के कई हिस्‍सों में फसलों की कटाई शुरू हो जाती है।

Baisakhi 2023: इसी दिन हुई खालसा पंथ की स्‍थापना

Baisakhi 2023: बैसाखी के दिन की सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह जी ने 13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ की स्‍थापना की थी।इसका मकसद धर्म की रक्षा और समाज की भलाई करना था।
इसे मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन सूर्य मेष राश में प्रवेश करते हैं। बंगाली कैलेंडर का पहला दिन माना जाता है।बंगाल में इस दिन उत्‍सव मनाया जाता है, जिसे बेहद शुभ माना जाता है।

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