उत्तराखंड में चुनावों से पहले पाला बदलने का खेल शुरू हो चुका है। इसी क्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एन डी तिवारी बेटे रोहित शेखर के साथ आज भाजपा में शामिल हो गए। इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने पहुंचे तिवारी के साथ पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी थे। कहा जा रहा है कि 91 साल के तिवारी कांग्रेस से अपने बेटे रोहित को टिकट दिलाने में लगे थे लेकिन कांग्रेस से मोहभंग होने के बाद समाजवादी पार्टी से उम्मीदवारी की कोशिश की और जब वहां से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तब पुत्र को राजनीति में स्थापित करने के मकसद से बीजेपी में शामिल हुए हैं।

गौरतलब है कि अपने लंबे राजनीतिक सफर में नारायण दत्त तिवारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उससे पहले वह तीन बार अविभाजित उत्तर प्रदेश के भी मुख्यमंत्री रहे हैं। नारायण दत्त तिवारी दो साल के लिए आंध्र प्रदेश के गवर्नर भी रहे , लेकिन वर्ष 2009 में सेक्स स्कैंडल में फंसने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। नारायण दत्त तिवारी उस वक्त 84 वर्ष के थे। हालाँकि उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य को इस्तीफे की वजह बताया था।

दिलचस्प बात यह है कि जिस बेटे के लिए आज एन डी तिवारी पार्टी बदल रहे हैं और जुगाड़ में लगे हैं उसे पहले वह अपना बेटा मानने से मना कर चुके हैं। तीन साल पहले दिल्ली हाईकोर्ट के ऑर्डर के बाद एनडी तिवारी ने शेखर को बेटा स्वीकारा था। हाईकोर्ट ने कहा था कि शेखर तिवारी का बायोलॉजिकल बेटा है।अपने हक़ के लिए 2013 में शेखर ने एक पैटरनिटी सूट कोर्ट में दायर किया था,इसमें दावा किया गया था कि रोहित के बायोलॉजिकल माता-पिता नारायण दत्त और उज्ज्वला शर्मा हैं। शुरुआत में डीएनए टेस्ट से इनकार करने के बाद तिवारी इसके लिए तैयार हो गए थे। हालांकि, जब टेस्ट हुआ तो रिजल्ट  शेखर के पक्ष में आया था। अब नारायण दत्त तिवारी का बेटे के लिए पॉलिटिकल पाला बदलना फायदे या नुकसान का सौदा साबित होगा यह देखना अभी बाकी है।

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