इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि वीआईपी काफिला गुजरने के दौरान जजों और वकीलों को सम्बंधित सड़कों पर वाहन लेकर चलने से न रोका जाए। हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक़ कोर्ट के कामकाज के समय के दौरान जजों और वकीलों को रोकने से अदालतों का काम-काज प्रभावित होता है। ऐसे में वीआईपी काफिले के दौरान अदालतों से जुड़े लोगों को रोकना न्यायिक प्रक्रिया में दखल की तरह माना जाएगा। अदालत ने साफ़ तौर पर कहा है कि यूपी सरकार को इस बारे में एक स्पष्ट नीति बनाकर उसके नियमों को सख्ती से लागू करना चाहिए। हाईकोर्ट की लार्जर बेंच ने यह भी कहा है कि सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिसमे वीआईपी काफिले हाईकोर्ट या दूसरी अदालतों के बाहर अथवा उसके आस पास से न गुजरे। अगर इन जगहों पर जाना या इन रास्तों से गुजरना जरूरी भी हो तो अदालत खुलने और बंद होने के वक्त का ध्यान रखा जाए।

हाईकोर्ट ने इस बारे में यूपी सरकार को छह हफ्ते में हलफनामा भी दाखिल करने को कहा है। अदालत इस मामले में तीन मार्च को फिर से सुनवाई करेगी। हाईकोर्ट की लार्जर बेंच इस मामले में स्वतः संज्ञान यानी सुओ मोटो लेकर सुनवाई कर रही थी। यह मामला पिछले कई सालों से अदालत में पेंडिंग था। दरअसल तकरीबन दस साल पहले यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री  मुलायम सिंह यादव के इलाहाबाद आने पर उनका काफिला गुजरने के  दौरान ट्रैफिक को रोक दिया गया था। इसकी वजह से हाईकोर्ट के जज एसएन त्रिपाठी की गाड़ी भी करीब आधे घंटे तक फंसी हुई थी। उन्होंने इस बारे में चीफ जस्टिस से शिकायत की थी। इसके अलावा कई दूसरे मौकों पर भी वीआईपी काफिलों की वजह से जजों,वकीलों और कोर्ट कर्मचारियों को बीच रास्ते में रुकना पड़ा  था। हाईकोर्ट के इस फैसले से अब जजों और वकीलों को बड़ी राहत मिलेगी इसके साथ ही उन्हें वीआईपी काफिला गुजरने के दौरान नहीं रोका जा सकेगा और इन कारणों से कोर्ट के काम-काज में पड़ने वाले व्यवधानों को भी दूर करने में मदद मिल सकेगी।

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