जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में मुकदमों कार्यवाही का सीधा प्रसारण हो सकता है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (9 जुलाई) को माना कि कार्यवाही का सीधा प्रसारण वक्त की जरूरत है। सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने सुझाव दिया कि सुप्रीम कोर्ट अपना चैनल शुरू कर सकता है। अब कोर्ट ने बार एसोसिएशन और दूसरे पक्षों से भी इस बारे में सुझाव मांगे हैं।

सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाहियों पर पड़े रहने वाले पर्दे को हटाने के लिए एक और कदम उठाए जाने की तैयारी है। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह की एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सैद्धांतिक तौर पर इस पर सहमति दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीधा प्रसारण वक्त की जरूरत है। कोर्ट ने ये भी कहा कि इससे लोगों को कोर्ट के आदेश की तुरंत जानकारी मिल सकेगी।

सुनवाई में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने भी सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की सुनवाई के सीधे प्रसारण की मांग का समर्थन किया। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपना चैनल शुरू कर सकता है। शुरूआत पहली दो 2 कोर्टों की कार्यवाही के प्रसारण से की जा सकती है। इंदिरा जयसिंह की याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने से उसके फैसलों की गलत रिपोर्टिंग रोकने में मदद मिलेगी। साथ ही कार्यवाही के सीधे प्रसारण से न्याय होने के साथ न्याय होते दिखाई देने की बात को पुख्ता तरीके से स्थापित किया जा सकेगा।

याचिका में कहा गया है कि अदालत के फैसले देश के सभी लोगों को प्रभावित करते हैं, इसलिए उन्हें यह जानने का अधिकार है कि कोई फैसला कैसे किया गया है। साथ ही ये सुझाव भी दिया गया है कि सुनवाई का सीधा प्रसारण करने की व्यवस्था तैयार होने तक इसे रिकॉर्ड करके यूट्यूब चैनल पर डाला जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अब अटॉर्नी जनरल, बार एसोसिएशन और याचिकाकर्ता से इसके लिए दिशानिर्देश तैयार करने को कहा है। सीधे प्रसारण का विचार पारदर्शी अदालत के विचारों का ही विस्तार है। अब अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी।

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