सीबीआई के जज लोया की मौत के मामले में सोमवार (22 जनवरी) को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में तीखी बहस हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों से कहा कि वह लोया मामले में ऐसे दस्तावेज जुटाएं जिन्हें अभी तक जमा नहीं किया गया है और उन्हें कोर्ट को सौंपें। बॉम्बे लायर्स एसोसिएशन के वकील दुष्यंत दवे ने कहा, हरीश साल्वे अमित शाह के वकील रहे हैं ऐसे में इस मामले में महाराष्ट्र सरकार की तरफ से कैसे पेश हो सकते है?

सुनवाई के दौरान जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अभी तक की रिपोर्ट को देखते हुए यह एक प्राकृतिक मौत है। आप बार बार किसी का नाम क्यों ले रहे हैं? इस पर महाराष्ट्र सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि जब दस्तावेजों के अनुसार यह एक प्राकृतिक मौत है तो फिर अमित शाह का नाम इसमें क्यों आ रहा है? उन्होंने कहा कि हमें याचिकाकर्ता से किसी तरह के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि निधन से पहले जज लोया की सुरक्षा घटा ली गयी थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि एक जज का तबादला हो गया दूसरे जज का निधन हो गया और तीसरे जज ने उन्हें बरी कर दिया।

एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने भी हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने की मांग की। प्रधान न्यायाधीश ने इंदिरा जयसिंह को कस कर डांट लगाई कि वह कोई टिप्पणी न करें। इंदिरा जयसिंह ने कहा कि इसी कोर्ट ने बोलने की आजादी के आधार पर पद्मावती पर आदेश पारित किया और अब ये कोर्ट प्रेस को निर्देश दे रही है कि वह कोई रिपोर्ट न प्रकाशित करे। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने चिल्लाते हुए कहा कि हम यहां संदिग्ध मौत पर बात कर रहे हैं औऱ बोलने की आजादी और प्रेस की आजादी की नहीं। इस पर इंदिरा जयसिंह ने माफी मांगी।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने आदेश दिया कि किसी भी हाईकोर्ट में अब जज लोया से जुड़े मामलों की सुनवाई नहीं होगी. बेंच ने जज लोया केस से संबंधित दो याचिकाओं को बॉम्बे हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। अब मामले पर सुनवाई 2 फरवरी को होगी।

गुजरात पुलिस ने 2005 में हैदराबाद से सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को गिरफ्तार किया था। गुजरात पुलिस पर इन दोनों को फर्जी मुठभेड़ में मार डालने का आरोप है। 2006 में गुजरात पुलिस की हिरासत में सोहराबुद्दीन के साथी तुलसीराम प्रजापति की भी मौत हो गयी। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रजापति और सोहराबुद्दीन के केस को एक साथ जोड़ दिया। इस केस की सुनवाई शुरुआत में जज जे टी उत्पत कर रहे थे, लेकिन आरोपी अमित शाह के पेश ना होने पर नाराजगी जाहिर करने पर अचानक उनका तबादला कर दिया गया। फिर केस की सुनवाई जज बी एच लोया ने की। लेकिन दिसंबर 2014 में नागपुर में उनकी मौत हो गई।

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