17 मार्च तक ED को मनीष सिसोदिया की रिमांड, यहां पढ़ें सुनवाई के दौरान क्या कुछ हुआ…

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Manish Sisodia
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शुक्रवार दोपहर राउज एवेन्यू कोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री और AAP नेता मनीष सिसोदिया को पेश किया। दरअसल गुरुवार को सिसोदिया को ईडी ने आबकारी नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया था। उन्हें तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत के दौरान गिरफ्तार किया गया था जहां वह सीबीआई मामले में बंद थे। उन्हें सीबीआई ने 26 फरवरी को शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया था। मामले में ईडी ने सिसोदिया की 10 दिन की रिमांड मांगी थी लेकिन कोर्ट ने सिर्फ 17 मार्च तक रिमांड दी है। फिलहाल CBI के मामले में मनीष सिसोदिया की ज़मानत याचिका पर आज होने वाली सुनवाई अब 21 मार्च को होगी।

ED की दलील

ED ने कस्टडी की मांग करते हुए कहा कि सिसोदिया ने एक्सपर्ट कमेटी के सुझाव को नहीं माना। उन्होंने प्रॉफिट मार्जिन को 12 प्रतिशत बढ़ाया गया। जो कि एक्सपर्ट कमेटी की राय से अलग था। इसके जरिए दक्षिण भारत के ग्रुप और होलसेलर को फायदा पहुंचाया गया।होलसेल का बिजनेस कुछ विशेष लोगों को दिया गया। लोगो के लिए अवैध कमाई की व्यवस्था बनाई गई। शराब नीति के लिए जो पॉलिसी बनाई गई उसमें गड़बड़ी की गई थी।होलसेल को 12 प्रतिशत में प्रॉफिट का मर्जन रखा गया जो इस पॉलिसी के पूरी तरह खिलाफ था। वहीं कोर्ट ने पूछा की मार्जिन कितना होना चाहिए? कोर्ट को बताया गया कि मार्जिन 6 फीसदी होना चाहिए।

ED ने कहा कमेटी ने मार्जिन 12 फीसदी कर दिया और यह सब सिसोदिया के कहने पर किया गया। जिसका हमारे पास सबूत है। इतना ही नही शराब की बिक्री के लिए तय व्यवस्था का भी उल्लंघन हुआ। कुछ लोगों को फायदा देने के लिए व्यवस्था बनाई गई। आरोपी के CA ने भी पूछताछ में खुलासा किया है। ED ने कहा कि GOM में कुछ बाते हुई जिनपर कभी चर्चा भी नहीं हुई और उनको अमल में लाया गया। विजय नायर ही था जो सब कुछ मामले को देख रहा था।वही सारी साजिश को कोआर्डिनेट कर रहा था।

कोर्ट ने पूछा आप कैसे कह सकते हैं 12 फीसदी की सिफारिश GOM ने की थी। ED ने अपने जवाब में कहा कि एक्साइज कमिश्नर और कुछ लोगों ने बताया कि सेक्रेटरी सी अरविंद के बयान से भी इस बात की पुष्टि हुई है। अरविंद ने बताया कि मार्च 2021 में मनीष ने CM के घर बुलाया और 30 पन्ने का ड्राफ्ट दिया। 22 मार्च को GOM ने इसे ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया। आवेदकों को लॉटरी निकलने की बजाय होलसेल लाइसेंस देने की बात कही गई। ED ने कहा कि विजय नायर इसमें शामिल था। आप के नेताओं को इसकी वजह से 100 करोड़ का किकबैक मिला।

ED ने कहा कि के कविता के ऑडिटर बुचिबाबू ने बताया कि मनीष सिसोदिया और के कविता के बीच राजनीतिक तालमेल था और के कविता ने विजय नायर से मुलाक़ात की थी। ED ने कोर्ट से कहा कि विजय नायर मुख्यमंत्री केजरीवाल और डिप्टी CM मनीष सिसोदिया के इशारे पर काम कर रहा था। ED ने कहा कि इंडोस्प्रिट को लाइसेंस देने के लिए मनीष सिसोदिया ने कहा था। सिसोदिया कई बार अरोड़ा के रेस्टोरेंट कोर्टयार्ड भी गए। ED ने कहा कि आरोपी मनोज राय ने अपने बयान में कहा विजय नायर सिसोदिया के इशारे पर काम कर रहा था। आप नेताओं द्वारा फोन करके फोन ट्रेस करने की भी बात सामने आई है।

ED ने कहा कि सिसोदिया पीएस देवेन्द्र शर्मा ने अपने बयान में कहा कि उसके नाम पर सिम कार्ड और फोन का इस्तेमाल किया गया। उन डिजिटल साक्ष्यों को नष्ट करने का मकसद जांच को भटकाना था। आरोपी मनीष सिसोदिया ने एक साल के भीतर 14 फोन को नष्ट किया।दूसरे नाम पर सिम कार्ड और फोन को खरीदा। ED ने कोर्ट से यह भी कहा कि बड़ी तादाद में डिजिटल एविडेंस को नष्ट किया गया। साथ ही यह भी कहा कि मामले में मनी ट्रेल का भी हमे पता लगाना है।

सिसोदिया का बचाव…

मनीष सिसोदिया की तरफ से वकील दयान कृष्णन ने कस्टडी का विरोध करते हुए कहा कि यहां ED का मामला ही नहीं बनता। एजेंसी को मेरे पास कोई पैसा नहीं मिला।इसलिए यह कह रहे हैं विजय नायर मेरे इशारे पर काम कर रहा था। उन्होंने ने कहा जांच एजेंसी अभी तक मेरे खिलाफ एक भी मनी ट्रेल का पता क्यों नहीं कर पाई? जहां तक पॉलिसी बनाने से पहले की स्थिति की जांच का विषय है अभी जांच एजेंसी इसकी जांच कर रही है। सिसोदिया की ओर से कहा गया कि जब सरकार की पॉलिसी बनती है तो कई स्तरों से गुजरती है। वह फ़ाइल सरकार के अलावा संबंधित विभाग, वित्त विभाग से होते हुए LG के पास जाती है।
जब फ़ाइल LG के पास गई उन्होंने भी पॉलिसी को देखा। उनकी शिकायत टेंडर के बाद की है। टेंडर के पहले की शिकायत नहीं जबकि यहां पर बात टेंडर से पहले की हो रही है। PMLA बेहद सख्त कानून हैं। यहां पुख्ता सबूत के बजाय एजेंसी की धारणा के हिसाब से ही गिरफ्तारी हो रही है। वकील दयान ने कहा कि ED को यह दिखाना होगा कि इस मामले में पैसा सिसोदिया के पास गया। ED ने मुझे पूछ ताछ के लिए पहले कभी नहीं बुलाया। CBI के मामले में हम कोर्ट के सामने जमानत पर बहस करने वाले थे। जमानत की सुनवाई से एक दिन पहले मुझे गिरफ्तार कर लिया गया।

उन्होंने कहा कि मामले का ECIR 2022 का है। जिसमें अब कार्रवाई हो रही है। इस तरह के आचरण पर कोर्ट को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि 57 पन्ने की रिमांड अर्जी है। जिसमें CBI मामले की अर्जी वाली चीजे लिखी हुई हैं। ED अभी तक एक पैसे का मनी ट्रेल नही दिखा पाई है फिर भी ED को रिमांड चाहिए। मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपी को अपनी बेगुनाही को साबित करने के लिए भारी बोझ आरोपी सिसोदिया पर डाल दिया जाता है। सिसोदिया के वकील दयान कृष्णन ने कहा यहां साफ दिख रहा है बदनीयती से यह सब काम हो रहा है। यहां PMLA जैसे सख्त कानून का फायदा लेने की कोशिश की है ताकि आरोपी को जमानत ना मिल सके।

उन्होंने कहा कि ED का यह आरोप गलत है कि LG की शिकायत के बाद मेरा फोन बदला गया। एजेंसी का यह आरोप भी गलत है कि सिसोदिया जवाब देने में टालमटोल कर रहे हैं। ED जो सुनना चाहती है अगर में वो बात न बोलूं तो गोलमोल जवाब कहा जाएगा। ED का कहना है कि 292 करोड़ बनाए गए यह सब हवा में ही है। एजेंसी के पास कुछ भी नही है। उन्होंने कहा कि किसी से कहीं भी मुलाकात हो जाना कोई अपराध साबित नहीं करता।

सिसोदिया की ओर से कहा गया कि ED का रिमांड के लिए आवेदन ही कानूनन गलत है। इसके लिए कोर्ट को जांच एजेंसी को फटकार लगानी चाहिए।
ED के द्वारा यहां बुचिबाबू के जिस बयान का ज़िक्र किया जा रहा है वह बुचिबाबू की CBI की हिरासत में था। इसका इस मामले में क्या रेल्वेन्स है। सिसोदिया के वकील ने कहा कि अगर गोवा चुनाव में आप को पैसा देने की बात विजय नायर की तरफ से कही गई तो इसमें सिसोदिया कहां है?

सिसोदिया की तरफ से सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि फरवरी 2021 में दिनेश अरोड़ा ने बताया कि उसके पास सार्थक नाम से एक लाइसेंस है उसको ट्रांसफर करवाना है। सिसोदिया से इसके लिए बात करो। इसपर विजय नायर ने कहा कि वह शराब नीति को लेकर सिसोदिया से कोई बात नहीं कर सकते हैं।
दिनेश अरोड़ा ने जो 164 का बयान दिया वो 30 सितंबर 2022 का है जिस बयान की ये बात कर रहे हैं उसकी तारीख अगले दिन की दिखाई है। ED को हमारे ऊपर आरोप लगाने से पहले यह साबित करना होगा कि मैं मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी हूं। उन्हें यह बताना होगा कि मैंने पैसा लिया है।

ED की तरफ से जवाबी दलील देते हुए कहा कि यह पॉलिसी का मामला है और फैसला कार्यपालिका का मामला होता तो इसका मतलब यह है कि फिर तो कोयला या 2 जी घोटाला ही नहीं होता। ED ने कहा कि आरोपी की दलील सही नहीं है की PMLA के3 तहत गिरफ्तारी के समय और ना ही जमानत के समय अपराध साबित करने की आवश्यकता होती है।

क्या है ये मामला?

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को तिहाड़ जेल में घंटों पूछताछ के बाद शराब नीति मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था। सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी को शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया था और उन्हें 6 मार्च को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

सिसोदिया को सीबीआई ने दिल्ली आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं से संबंधित एक मामले की चल रही जांच में गिरफ्तार किया था। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें 20 मार्च तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

पिछले साल ईडी ने इस मामले में अपनी पहली चार्जशीट दाखिल की थी। एजेंसी ने कहा कि उसने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की सिफारिश पर दर्ज सीबीआई मामले का संज्ञान लेते हुए FIR दर्ज होने के बाद अब तक इस मामले में लगभग 200 तलाशी अभियान चलाए हैं।

जुलाई में दायर दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट के निष्कर्षों पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी, जिसमें जीएनसीटीडी अधिनियम 1991, व्यापार नियम (टीओबीआर) -1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम -2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम -2010 का उल्लंघन पाया गया।

अक्टूबर में, ईडी ने मामले में दिल्ली के जोर बाग स्थित शराब डिस्ट्रिब्यूटर इंडोस्पिरिट ग्रुप के प्रबंध निदेशक समीर महेंद्रू की गिरफ्तारी और बाद में उन्हें गिरफ्तार करने के बाद दिल्ली और पंजाब में लगभग तीन दर्जन स्थानों पर छापेमारी की थी।

सीबीआई ने इस मामले में अपना पहला आरोप पत्र पहले दायर किया था।

ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया था कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया। ऐसा आगे आरोप था कि लाइसेंस फीस माफ या कम कर दिया गया था और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ाया गया था। लाभार्थियों ने आरोपी अधिकारियों को “अवैध” लाभ दिया और पता लगाने से बचने के लिए अपने खाते की पुस्तकों में गलत एंट्री कीं।

इसके अलावा, यह आरोप लगाया गया था कि आबकारी विभाग ने निर्धारित नियमों के विरुद्ध एक सफल टेंडरर को लगभग ₹ 30 करोड़ की बयाना जमा राशि वापस करने का निर्णय लिया था। 28 दिसंबर, 2021 से 27 जनवरी, 2022 तक टेंडर लाइसेंस फीस पर छूट की अनुमति दी गई थी। इससे कथित रूप से 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ ।

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