DY Chandrachud बने देश के नए मुख्य न्यायाधीश, जानें Judiciary के क्षेत्र में उनका अब तक का सफर…

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D.Y. Chandrachud बनें देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश, जानें उनसे जुड़ी कुछ बातें...

देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के अगले और 50वें मुख्य न्यायाधीश D.Y. Chandrachud को शपथ दिलाई। डी.वाई. चंद्रचूड़ ने राजभवन में शपथ ली । इस दौरान राजभवन में पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति धनखड़ समेत तमाम बड़े मंत्री और नेता मौजूद थे। बीते मंगलवार को पूर्व मुख्य न्यायधीश यू.यू. ललित ने न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ को चीफ जस्टिस की कमान सौंपी है। आपको बता दें, चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल दो साल का होगा, यह 10 नवंबर, 2024 को सेवानिवृत्त होंगे। दरअसल, डी.वाई. चंद्रचूड़ पूर्व और अब तक के सबसे लंबे समय तक सेवारत रहे CJI जस्टिस वाई.वी. चंद्रचूड़ के बेटे हैं।

D.Y. Chandrachud का सफर

चीफ जस्टिस D.Y. Chandrachud ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में ऑनर्स के साथ बीए किया है। साथ ही उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में हार्वर्ड लॉ स्कूल से LLM और न्यायिक विज्ञान (SJD) में डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की है।

D.Y. Chandrachud को जून, 1998 में बॉम्बे हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया था। साथ ही 1998 में, उन्हें भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद मार्च, 2000 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। इसके तीन साल बाद जस्टिस चंद्रचूड़ को इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद मई, 2016 में इन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति मिली थी।

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D.Y. Chandrachud दे चुके हैं कई एतिहासिक फैसले

जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अब तक कई ऐतिहासिक फैसले देने वाली उच्चतम न्यायालय की पीठों में हिस्सा लिया है। इनमें सबसे अहम मुद्दे अयोध्या भूमि विवाद, आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना, सबरीमला मुद्दा, सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देना, आधार योजना की वैधता से जुड़े मामले और भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन हैं।

हाल ही में, जस्टिस चंद्रचूड़ अविवाहित या अकेली गर्भवती महिलाओं को 24 सप्ताह तक गर्भपात करने से रोकने के कानून को रद्द कर सभी महिलाओं को प्रजनन का अधिकार दिया है। पहली बार मेरिटल रेप को परिभाषित करते हुए पति द्वारा जबरन यौन संबंध बनाने से गर्भवती विवाहित महिलाओं को भी नया अधिकार दिया है।

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