Demonetisation: नोटबंदी फैसले पर अलग राय रखने वालीं जज कौन हैं ? यहां पढ़ें उनका तर्क

Demonetisation: फैसले में मतभेद भी दिखा, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने पीठ के फैसले पर असहमति जताई।उन्‍होंने आरबीआई अधिनियम की धारा 26 (2) के तहत केंद्र की शक्तियों के बिंदु पर न्यायमूर्ति बीआर गवई के फैसले से अलग मत रखते हुए असहमति जताई। 

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Demonitisation news and Justice BV Nagratna
Demonitisation news

Demonetisation: नए साल 2023 की शुरुआत में ही नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।शीर्ष अदालत ने याचिकाओं को खारिज करते हुए सरकार द्वारा नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया। हालांकि पूरा फैसला 6 मुख्‍य बिंदुओं को ध्‍यान में रखकर सुनाया गया।कोर्ट ने माना कि सरकार के फैसले के पीछे तार्किक वजहें थीं।जिसके आधार पर निर्णय लिया।

जस्टिस अब्दुल नज़ीर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ फैसला सुनाया। हालांकि इसी बीच फैसले में मतभेद भी दिखा, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने पीठ के फैसले पर असहमति जताई।उन्‍होंने कहा कि नोटबंदी को लेकर मेरे तर्क अलग हैं।

उन्‍होंने आरबीआई अधिनियम की धारा 26 (2) के तहत केंद्र की शक्तियों के बिंदु पर न्यायमूर्ति बीआर गवई के फैसले से अलग मत रखते हुए असहमति जताई। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने असहमतिपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि नोटबंदी को संसद से एक अधिनियम के माध्यम से लाना चाहिए था, न कि सरकार द्वारा।

Demonetisation news update today.
Demonetisation.

Demonetisation: संवैधानिक बेंच ने 4:1 के बहुमत से नोटबंदी के पक्ष में फैसला सुनाया

Supreme Court Decision Over Demonetisation today.
Supreme Court of India.

Demonetisation: जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 4:1 के बहुमत से नोटबंदी के पक्ष में फैसला सुनाया। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच सलाह-मशवरा हुआ था।

कोर्ट ने इसी के साथ कहा कि 8 नवंबर, 2016 को लाई गई नोटबंदी की अधिसूचना वैध थी और नोटों को बदलने के लिए दिया गया 52 दिनों का समय भी एकदम उचित था।इस मामले में कोर्ट ने 2022 में 7 दिसंबर को सरकार और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने नोटबंदी को सही ठहराने वाले बहुमत के दृष्टिकोण से अलग निर्णय दिया।

उन्होंने कहा कि RBI अधिनियम केंद्र सरकार के आधार पर विमुद्रीकरण पर विचार नहीं कर सकता।जस्टिस गवई ने कहा कि RBI की सेंट्रल बोर्ड की बैठक के बाद केंद्र सरकार को फैसला लेना था।

कार्यपालिका के विवेक की जगह न्यायपालिका नहीं ले सकती है।उन्होंने कहा नोटबंदी के फैसले को सिर्फ इसलिए गलत नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार की तरफ से दिया गया था।कोर्ट ने माना कि सरकार के फैसले के पीछे तार्किक वजहें थीं। जिसके आधार पर निर्णय लिया।

Demonetisation: न्यायमूर्ति नागरत्ना ने उठाए सवाल-कहा मेरे तर्क अलग हैं

नोटबंदी के फैसले को लेकर न्यायमूर्ति नागरत्ना ने आरबीआई अधिनियम की धारा 26 (2) के तहत अलग राय रखी। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि मैं साथी जजों से सहमत हूं लेकिन मेरे तर्क अलग हैं। मैंने सभी छह सवालों के अलग जवाब दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव केंद्र सरकार की तरफ से आया था और आरबीआई की राय मांगी गई थी।

आरबीआई द्वारा दी गई ऐसी राय को आरबीआई अधिनियम की धारा 26(2) के तहत “सिफारिश” के रूप में नहीं माना जा सकता है। यह मान भी लिया जाए कि आरबीआई के पास ऐसी शक्ति थी लेकिन ऐसी सिफारिश आप नहीं कर सकते क्योंकि धारा 26 (2) के तहत शक्ति केवल करेंसी नोटों की एक विशेष श्रृंखला के लिए हो सकती है और किसी मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों की पूरी श्रृंखला के लिए नहीं।  उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 26(2) के अंतर्गत कोई भी श्रृंखला” का अर्थ “सभी श्रृंखला” नहीं हो सकता है।

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