उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भारत के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास के खास अध्याय काकोरी कांड का नाम बदलकर “काकोरी ट्रेन ऐक्शन” कर दिया है। सरकार ने यह फैसला आजादी की लड़ाई में शामिल शहीदों के सम्मान में किया है।
काकोरी ट्रेन ऐक्शन के पीछे की कहानी बताते हुए उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने कहा कि, स्वाधीनता संग्राम की इस अहम लड़ाई को अंग्रेजों ने कांड का नाम दिया था जिससे अपमानजनक भावना बनती है इस वजह से नाम बदलने का निर्णय किया गया। इससे हमारे शहीदों का भी अपमान होता था।
बता दें कि क्रूर ब्रिटिश हुकूमत इतिहासकारों ने इस घटना को कांड का नाम दिया था। भारत में इस शब्द को अपमान जनक माना जाता है। कांड का मतलब होता है कोई बुरा काम करना लेकिन काकोरी ट्रेन ऐक्शन देश को आजादी दिलाने लिए एक अहम मुहिम थी।
राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को इस घटना की वर्षगांठ पर काकोरी स्मारक समिति पर आयोजित एक समारोह में काकोरी ट्रेन ऐक्शन के नेताओं राम प्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह और राजेंद्र लाहिड़ी की प्रतिमाओं पर श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने कहा, “काकोरी एक्शन की कहानी हमें सदैव इस बात का अहसास कराती है कि देश की स्वाधीनता से बढ़कर कुछ नहीं।”
मुख्यमंत्री योगी ने कहा,”काकोरी ट्रेन ऐक्शन के मामले में कहा जाता है कि जो क्रांतिकारी थे उन्होंने जिस घटना को अंजाम दिया था उसमें उनके हाथ लगे थे मात्र 4600 रुपये मगर अंग्रेज़ों ने उनके खिलाफ मुकदमा करने से लेकर फांसी पर लटकाने तक की कार्रवाई में 10 लाख रुपये खर्च किये थे।”
9 अगस्त, 1925 को घटे काकोरी कांड को हमेशा रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, राजेंद्र प्रसाद लाहिड़ी और अन्य कई क्रांतिकारियों के लिए जाना जाता है। तब हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन (HRA) से जुड़े क्रांतिकारियों ने इस घटना को अंजाम दिया था।
ये घटना एक ट्रेन लूट से जुड़ी है, जो 9 अगस्त, 1925 को काकोरी से चली थी। आंदोलनकारियों ने इस ट्रेन को लूटने का प्लान बनाया था। जब ट्रेन लखनऊ से करीब 8 मील की दूरी पर थी, तब उसमें बैठे तीन क्रांतिकारियों ने गाड़ी को रुकवाया और सरकारी खजाने को लूट लिया।
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कुल 29 लोगों के खिलाफ मुक़दमे चले और डेढ़ साल बाद चार लोगों को फांसी की सजा और एक को आजीवन कारावास की सज़ा दी गई।
अन्य लोगों को 14 साल तक की सज़ा दी गई। दो लोग बरी हो गए और दो की सजा माफ कर दी गई।