UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर जोरदार हमला बोला है। नेता ने कहा कि बीजेपी दिक्कत, किल्लत और जिल्लत की राजनीति करती है। बता दें कि अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के लिए अखिलेश यादव बीजेपी के लिए एक कड़ी चुनौती बन रहे हैं। अखिलेश यादव हर मुद्दे पर सत्तारूढ़ बीजेपी को घेरने की कोशिश करते हैं। मालूम हो कि Akhilesh Yadav अपने चाचा शिवपाल यादव के साथ पुरानी कड़वाहटों को भुलाते हुए गठबंधन के लिए राजी हो गए हैं। गुरुवार को लखनऊ में दोनों के बीच 45 मिनट की बैठक के बाद, अखिलेश यादव ने अपनी और शिवपाल यादव की एक तस्वीर ट्वीट करते हुए कहा कि वे UP Election 2022 के लिए गठबंधन के लिए सहमत हुए हैं।
UP Election 2022 से पहले साथ आए चाचा-भतीजे

विदित हो कि शिवपाल यादव ने 2017 के चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ लिया था और अपनी खुद की पार्टी – प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाई थी। अब समाजवादी पार्टी और प्रसपा के बीच गठबंधन हुआ है। पिछले साल शिवपाल यादव ने कई बार खुलकर कहा था कि वह मेल-मिलाप के लिए तैयार हैं।
गुरुवार को अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, “प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाक़ात हुई और गठबंधन की बात तय हुई। क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है।”
UP Election 2022: छोटे दलों को साथ लाना चाहते हैं अखिलेश

गौरतलब है कि अखिलेश अधिक से अधिक छोटे दलों को साथ लाना चाह रहे हैं। उन्होंने पहले ही जनवादी पार्टी (समाजवादी), ओम प्रकाश राजभर की एसबीएसपी, केशव देव मौर्य के महान दल, कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल और जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोक दल के साथ गठजोड़ किया है।
UP Election 2022: चाचा शिवपाल साबित होंगे मददगार

बता दें कि शिवपाल यादव की पार्टी का इटावा क्षेत्र की कुछ सीटों पर काफी प्रभाव है, इसके अलावा चुनावी लड़ाई में चाचा शिवपाल के साथ रहने से अखिलेश यादव की काफी मदद होने की संभावना है। समाजवादी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि समझौता पार्टियों के कोर वोटर को एकता का संदेश भी देगा।
UP Election 2022: Rakesh Tikait को साथ आने का न्योता
UP Election 2022: अखिलेश यादव ने कहा कि राकेश टिकैत अगर हमारे साथ चुनाव लड़ेंगे तो मैं उनका स्वागत करता हूं। वे किसानों के बड़े नेता हैं। उनका आंदोलन भी राजनीति से दूर रहा है। ऐसे में फैसला उनका है। अगर वे चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं तो उनका स्वागत है।