सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण के प्रावधान वाले विधेयक को राज्यसभा में चर्चा जारी है। गंभीर चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने एक बार फिर अपने भाषण से लोगों को हंसने को मजबूर कर दिया। अठावले ने एक बार फिर से खास तुकबंदी पेश करते हुए विपक्षी दलों पर निशाना साधा।
अठावले ने तुकबंदी में अपना पक्ष रखते हुए पीएम मोदी की तारिफ की।

“सवर्णों को आरक्षण देने की नरेंद्र मोदी जी ने दिखाई है हिम्मत, इसलिए 2019 में बढ़ेगी उनकी कीमत।
सवर्णों में भी गरीबी की रेखा, नरेंद्र मोदी जी ने उसे देखा।
और 10% आरक्षण देने का ले लिया मौका, लेकिन 70 साल तक कांग्रेस ने दिया था सवर्णों को धोखा।
नरेंद्र मोदी जी का कारवां आगे चला, इसलिए गरीब सवर्णों का हुआ है भला।
नरेंद्र मोदी जी के साथ दोस्ती करने की मेरे पास है कला, इसलिए कांग्रेस को छोड़कर मैं बीजेपी की तरफ चला।
सवर्णों को आरक्षण देकर मोदी जी ने मारा है छक्का, इसलिए 2019 में उनका विजय है पक्का
अगर मोदी जी और शाह जी मुझे दे देंगे थोड़ा धक्का, तो मैं कांग्रेस के खिलाफ मार दूंगा छक्का।

उन्होंने आगे कहा, मैं हमेशा बोलता था कि दलित पर अत्याचार होने की बड़ी वजह यह थी क्योंकि सवर्णों को लगता था कि उन्हें आरक्षण क्यों नहीं दिया गया। इसलिए मैं बार-बार कहता था कि एससी-एसटी और ओबीसी के आरक्षण से छेड़छाड़ किए बिना उन्हें आरक्षण दिया जाए। उन्हें विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, यह बिल क्यों देर से लाया गया? इसका जवाब यह है कि चुनाव नजदीक आ गया है, इसलिए इसकी आवश्यकता थी। चुनाव जीतने के लिए विपक्ष जो करना चाहे, करे, हम अपना काम करेंगे। हम तीन राज्यों में चुनाव हार गए लेकिन फिर भी बीजेपी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में कड़ी टक्कर दी है। सपा-बसपा एकसाथ आएं अच्छी बात है, कोई बात नहीं लेकिन हमारी पार्टी बीजेपी के साथ रहेगी। हमारी पार्टी बीएसपी से कोई गठजोड़ नहीं करेगी।

रामदास अठावले की तुकबंदी पर कुमार विश्वास बोले- ऐसे ‘हल्के-फुल्के’ लोकतंत्र की जय हो‬ रामदास अठावले के इस भाषण के बाद कुमार विश्वास को रामदास अठावले की यह तुकबंदी पसंद नहीं आई और वह रामदास अठावले की इस कविता से खुद को छलित महसूस करने लगे। उन्होंने अपने फेसबुक पर लिखा- ‪लोकतंत्र की जिस संसदीय शक्तिपीठ में, कभी राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, रामधारीसिंह दिनकर, बालकवि बैरागी और उदयप्रताप जी जैसे कवियों ने भाषा और कविता का गुण-गौरव गुंजाया था, वहां का हालिया ‘उत्कर्ष’ आप सब ‘मतदाताओं’ की सेवा में प्रस्तुत है! ऐसे ‘हल्के-फुल्के’ लोकतंत्र की जय हो।

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