इस्लामी विश्वविद्यालय दारुल उलूम देवबंद ने लोकसभा में पारित तीन तलाक पर रोक लगाने वाले कानून पर कड़ा ऐतराज जताते हुये इसे धार्मिक आजादी में दखल बताया। दारूल उलूम के कुलपति मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने शुक्रवार को यहां जारी बयान में कहा हैं कि नरेन्द्र मोदी सरकार का यह कदम मुस्लिमों की धार्मिक आजादी में सीधा दखल है। उन्होंने कहा कि इस कानून से शरियत प्रभावित होती है। मुसलमान शरियत के मुताबिक अपना जीवन गुजारना चाहते हैं। वहीं दूसरी ओर, उच्चतम न्यायालय से मुकदमा जीतने वाली तीन तलाक पीड़ित सहारनपुर की आतिया साबरी और देवबंद निवासी अधिवक्ता फराह फैज ने इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के रवैये की कड़ी आलोचना की है।

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उन्होने कहा कि मुस्लिम महिलाओं की मांग है कि विपक्षी दलों के नेता अपने इस रवैए में बदलाव लाएं और राज्य सभा में इस बिल को पारित कराने में सरकार को सहयोग प्रदान करें। दारूल उलूम ने आज यह साफ कर दिया कि देश के मुसलमान इस नए बनने वाले कानून को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि अच्छा होता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के संविधान और स्थापित परंपराओं के मुताबिक सरकार का संचालन करते। संविधान में सभी नागरिकों को दी गई धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करते। उन्होंने कहा कि एक ही बार में पत्नी को तलाक दिया जाना सही नहीं है। इस्लाम धर्म में, शरियत में इसे गलत माना गया है।

जमियत उलमाए हिंद के महमूद मदनी गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष कारी उस्मान ने कहा कि मोदी सरकार मनमानी कर रही है। उनका कहना था कि कानून बनाने से पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को इस्लाम के जानकारों और विद्वानों से वार्ता करनी चाहिए थी। उन्होंने ऐसा नही करके मुसलमानों के साथ अन्याय किया है। सहारनपुर निवासी उच्चतम न्यायालय की महिला एडवोकेट फराह फैज ने लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के लोकसभा में इस विषय पर दिए गए बयान की कड़ी आलोचना की।  खड़गे ने इस बिल को धर्म में हस्तक्षेप बताया था। फराह के मुताबिक न्यायालय ने इस समस्या को धार्मिक नहीं पारिवारिक और सामाजिक बताया था।

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फैज ने कहा कि मजहब की आड़ में मुस्लिम महिलाओं के साथ जो भेदभाव अभी तक किया जा रहा था, नए कानून बनने से उससे उन्हें राहत मिलेगी। तीन तलाक पीड़ित महिला मामले को लेकर उच्चतम न्यायाल गई आतिया साबरी ने कहा कि तलाक पीड़ित मुस्लिम महिलाओं की पीड़ा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल सुना है बल्कि उसका निवारण भी किया है।

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