तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को उनके 70वें जन्मदिन पर बधाई देने के लिए सैकड़ों समर्थक और कुछ विपक्षी नेता आज चेन्नई में फूल और उपहार लेकर कतार में खड़े दिखे। इसे शक्ति प्रदर्शन के खिलाफ कोई विरोधी सुर अभी नहीं सुनाई दिया है। हालांकि कथित शराब घोटाले के सिलसिले में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद से विपक्ष के मंथन से कुछ ठोस कदम उठाने की उम्मीद की जा रही है। वैसे कांग्रेस को छोड़कर सभी विपक्षी दलों ने गिरफ्तारी की निंदा की थी।
स्टालिन के जन्मदिन कार्यक्रम में केवल चार नेता मौजूद दिखे- कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला, राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव। डीएमके आमंत्रण सूची से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गायब दिखे। राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार भी खराब स्वास्थ्य के चलते कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। कई विपक्षी नेता ऐसे भी थे जो इस कार्यक्रम में नहीं दिखे, जो अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले विपक्षी एकता में आई दरारों को बताता है।
जो नेता नहीं दिखे उनमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल थीं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को भी आमंत्रित नहीं किया गया था। वैसे भी इन तीनों नेताओं को प्रधानमंत्री पद के आकांक्षी के तौर पर देखा जा रहा है, जो विपक्ष को एक मंच पर लाने में सबसे बड़ी बाधा बन रहे हैं।
डीएमके के प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने हालांकि कहा, “निमंत्रण केवल उन लोगों को भेजा गया था जो आज शामिल होने के लिए उपलब्ध थे।” मालूम हो कि 2019 में, स्टालिन ने कई नेताओं के उलट राहुल गांधी को विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित किया था।
इस बार फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘चुनाव के बाद हमें पीएम पद के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार तय करना चाहिए। अब हम सबको मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए।’ डीएमके प्रवक्ता मनु सुंदरम ने कहा, “जीएसटी, सीएए जैसे मुद्दों पर, ये सभी पार्टियां पहले से ही वैचारिक रूप से विरोध कर रही हैं। बेशक, चुनावों की घोषणा के बाद राजनीतिक गठबंधन किया जाएगा। लेकिन पहले से ही सभी मिलकर काम कर रहे हैं।”