करीब डेढ़ सालों से देशभर में स्कूल बंद हैं। कोरोना की तीसरी लहर के कारण सरकार स्कूलों को खोलने में झिझक रही है लेकिन 2 अगस्त से कई राज्यों में स्कूल खुल गए हैं। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत स्कूलों को खोल दिया गया है।

पंजाब में प्राइमरी से लेकर सेकेंडरी तक की कक्षाओं के स्टूडेंट्स के लिए आज से स्कूल खोल दिए गए हैं। वहीं उत्तराखंड, झारखंड में भी स्कूल एक बार फिर बच्चों से गुलजार हो गए हैं।

स्कूलों को खोल दिया गया है। छात्रों से लेकर टीचर्स, अभिभावकों को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए सख्त हिदायत दी गई है। टीचिंग स्टाफ तक सभी मास्क पहने हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दिखाई दे रहे हैं। आदेश के अनुसार स्कूलों सैनिटाइज किया गया है। साथ ही स्कूल में थर्मल स्क्रीनिंग और हैंड सैनिटाइज करने के बाद ही क्लास में स्टूडेंट्स को एंट्री दी गई है।

पंजाब के स्कूलों में प्री-प्राइमरी से सीनियर सेकेंडरी तक सभी कक्षाएं पहले की तरह चालाई जाएंगी। स्कूलों का समय सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक रहेगा। स्कूलों में क्लासेज ऑफलाइन मोड में लगेंगी।

इस दौरान बच्चों को स्कूल भेजने के लिए माता पिता की लिखित सहमती बेहद जरुरी है। बता दें कि पंजाब में राज्य सरकार ने 10वीं से लेकर 12वीं कक्षा तक के स्टूडेंट्स के लिए स्कूल 26 जुलाई से ही खोल दिए थे।

छत्तीसगढ़ में 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए सरकारी एवं प्राइवेट स्कूल आज (सोमवार) 02 अगस्त से 50 फीसदी उपस्थिति के साथ दोबारा खुल गए हैं। बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के कारण स्कूल और कॉलेज को फिर से बंद कर दिया गया था। केस कम होने के बाद फिर से खोला जा रहा है।

उत्तराखंड में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के लिए स्कूलों को 02 अगस्त से खोलने के आदेश दिए गए जबकि कक्षा छठीं से 8वीं के स्कूलों को 16 अगस्त से खोला जाएगा। वहीं, झारखंड में भी 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए स्कूलों को खोला गया है।

बता दें कि अभी हाल ही में आईआईटी बॉम्बे में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत प्रोफेसर भास्करन रमन ने महाराष्ट्र, दिल्ली और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों को खुला पत्र लिख स्कूल खोलने के लिए कहा था। यहां पर सिर्फ रमन ने ही पत्र नहीं लिखा था बल्कि इसमें आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली, विभिन्न डॉक्टर, पेशेवर और महाराष्ट्र, दिल्ली और कर्नाटक राज्यों के संबंधित माता-पिता भी शामिल थे।

गौरतलब है कि कोरोना काल में सबसे अधिक प्रभाव बच्चों की पढ़ाई पर पड़ा है। वैसे ऑनलाइन स्कूल तो चल रहा है लेकिन पूरा भारत फोन और लैपटॉप इस्तेमाल करने में सक्षम नहीं है साथ ही आर्थिक रुप से इतना मजबूत भी नहीं है कि फोन खरीद सके। भारत में अभी भी ग्रामीण इलाकों में कई जगह लोग फोन जैसी वस्तू से अनजान हैं।

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