उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं Mayawati आज अपना 66वां जन्मदिन मान रही हैं। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने इस मौके पर पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वो कोरोना काल में किसी भी तरह का आयोजन न करें और सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए सादगी के साथ रहें।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसके साथ ही कार्यकर्ताओं से यह भी अपील की है कि वो आज के दिन को जनकल्याणकारी दिवस के रूप में मनाए।
Mayawati को राजनीति में कांशीराम लेकर आये
कांशीराम की छत्रछाया में राजनीति का ककहरा पढ़़ने वाली यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती एक सख्त प्रशासक के रूप में जानी जाती हैं। लोकप्रिय छवि होने के बावजूद साल 2012 विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद आज 9 साल का समय बीत चुका है, लेकिन मायावती सत्ता में वापसी न सकीं।

दरअसल मायावती के वोटबैंक में भाजपा की सेंधमारी ने उनके जनाधार को काफी नुकसान पहुंचाया है। लगातार मिल रही हार के बावजूद मायावती इस साल हो रहे उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में एकला चलो के सिद्धांत पर आगे बढ़ रही हैं।
लेकिन मायावती अपने वोटरों में साल 2007 जैसा विश्वास हासिल कर पाएंगी ये तो आने वाला चुनावी रिजल्ट ही बताएगा।
Mayawati ने अखिलेश यादव के साथ मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली मायावती इस बार के चुनावी रण में अकेले ही मैदान में खड़ी हैं। इस बार उन्हें भाजपा, कांग्रेस के साथ-साथ सपा से भी मुकाबला करना है।

दिल्ली से पढ़ाई-लिखाई करने वाली मायावती का सपना आईएएस पास करके डीएम बनना था लेकिन चूंकि उनकी किस्मत में सीएम बनना लिखा था तो बामसेफ के अगुआ कांशीराम एक दिन उनके घर पहुंचे।
कांशीराम ने ला-ग्रेजुएट मायावती से दलित आंदोलन में जुड़ने के लिए कहा। मायावती कांशीराम की विचारधार से प्रभावित हुईं और घर के भारी विरोध के बावजूद कांशीराम के दिखाए राह पर चल पड़ीं।

मायावती साल 1989 में पहली बार सांसद बनीं। साल 1995 में मायावती अनुसूचित जाति की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। कांशीराम ने साल 2001 में मायावती के हाथों में बसपा की कमान देकर उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
2002-2003 के दौरान भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में मायावती मुख्यमंत्री बनीं। साल 2007 के विधानसभा चुनाव जीतकर फिर से सत्ता में लौटी और यूपी की कमान संभाली।

साल 2012 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने साइकिल से हाथी पर सवार मायावती को सत्ता से बेदखल कर दिया। बहुजन समाजवादी पार्टी सपा से वह चुनाव बुरी तरह से हार गई, तब से लेकर आज तक मायावती सत्ता का वनवास काट रही हैं।
बहुजन समाज पार्टी की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक मायावती ने आज अपने जन्मदिन पर ब्लू बुक ‘मेरे संघर्षमय जीवन’ और बहुजन समाज पार्टी मूवमेंट के सफरनामे का भी विमोचन किया।
इसके साथ ही बसपा सुप्रीमों मायावती आज उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के 53 उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी।



मायावती की अगुवाई में बसपा ने यूपी विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है और मुकाबले में भाजपा, सपा और कांग्रेस के खिलाफ अपने प्रत्याशियों के ऐलान के साथ इस चुनावी समर का आगाज कर दिया है।
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